देहरादून: लैंसडौन का नाम बदलने के ऊपर लंबे वक्त से चर्चा चल रही हैं।
Lansdowne may be renamed
पहले इसका नाम कालों डांडा रखे जाने की चर्चा थी। उसके पीछे यह तर्क दिया गया था कि यहां 1886 में गढ़वाल रेजीमेंट की स्थापना हुई। पांच मई 1887 को ले. कर्नल रविंग के नेतृत्व में अल्मोड़ा में बनी पहली गढ़वाल रेजीमेंट की पलटन चार नवंबर 1887 को लैंसडौन पहुंची। उस समय लैंसडौन को कालौं का डांडा कहते थे। 21 सितंबर 1890 तत्कालीन वायसराय लार्ड लैंसडौन के नाम पर लैंसडौन रखा गया।लेकिन, अब लैंसडौन का नाम परिवर्तित कर जसवंतगढ़ करने का सुझाव छावनी परिषद ने रक्षा मंत्रालय को भेजा है। रक्षा मंत्रालय ने पूर्व में छावनी बोर्ड से नाम बदलने संबंधी सुझाव मांगा था। आगे पढ़िए
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Lansdowne New Name Jaswantgarh
जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले हुई छावनी बोर्ड की बैठक में लैंसडौन का नाम वीर शहीद जसवंत सिंह के नाम से जसवंतगढ़ करने का प्रस्ताव पारित किया गया। छावनी बोर्ड की कार्यालय अधीक्षक विनीता जखमोला ने बताया कि छावनी बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर विजय मोहन चौधरी की अध्यक्षता में तीन दिन पहले हुई बैठक में लैंसडौन नगर का नाम महावीर चक्र विजेता शहीद राइफलमैन बाबा जसवंत सिंह रावत के नाम पर जसवंतगढ़ करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। वहीं लैंसडौन का नाम बदलने की घोषणा के बाद से ही स्थानीय लोग लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि लैंसडौन का नाम बदलना कहीं ना कहीं इस हिल स्टेशन की पहचान को पूरी तरह से बदलने जैसा है। लोगों ने नाम बदलने की चर्चा सामने आने के बाद ही विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है।