चमोली: चमोली में लिलियम के फूलों की खेती से किसानों की जिंदगी महकने लगी है।
Cultivation of lilium flowers in Chamoli
खेती-किसानी में घाटा उठा चुके किसान अब फूलों की खेती कर अपनी आर्थिकी को संवार रहे हैं। इस काम में उन्हें उद्यान विभाग की ओर से हरसंभव मदद दी जा रही है। फूलों की खेती से लेकर किसानों को बाजार मुहैया कराने तक में उद्यान विभाग किसानों की मदद कर रहा है। चमोली के पर्वतीय अंचल में फूलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं। यहां पहले ट्यूलिप की खेती शुरू हुई और अब लिलियम की खेती के जरिए किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। ट्यूलिप के बाद लिलियम का फूल सजावट में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। कुछ महीने पहले चमोली जिले में लिलियम की खेती की शुरुआत हुई है, साथ ही उत्पादन भी शुरू हो गया है। उद्यान विभाग द्वारा किसानों को फूलों की पैकेजिंग सामग्री के साथ ही विपणन के लिए उचित मार्केट भी मुहैया कराया गया है।
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उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में भी लिलियम के फूलों की खेप भेजी जा रही है। लिलियम बल्ब से महज 60 से 70 दिन के कम समय में पुष्प उत्पादन शुरू हो जाता है, जिससे किसान खासे उत्साहित हैं। शुरुआत में ही किसानों द्वारा 3 हजार स्टिक तैयार कर बेची जा चुकी हैं। मुनाफा देख किसानों का फूलों की खेती में रुझान बढ़ रहा है। उद्यान विभाग द्वारा पहले चरण में जिले के 10 किसानों के 16 पॉलीहाउस में लिलियम के 2500 बल्ब लगाए गए थे, जिनसे उत्पादन शुरू हो गया है। किसानों ने कहा कि वो पहले भी फूलों की खेती करते आ रहे थे, लेकिन मार्केटिंग न होने के कारण उन्हें फूलों को औने-पौने दामों में बेचना पड़ता था। इस बार उद्यान विभाग द्वारा मार्केटिंग की व्यवस्था की गई है, जिसके चलते काश्तकार अपने उत्पाद को देहरादून समेत अन्य शहरों में भेज रहे हैं। जिले में ट्यूलिप और लिलियम के साथ ही जरबेरा के फूल की खेती भी की जा रही है। अच्छे परिणाम मिलने पर अब काश्तकारों को पॉलीहाउस भी दिए जाएंगे, जिससे वो अपना उत्पादन बढ़ा सकेंगे।