रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम को कालीमठ घाटी से जोड़ा जाएगा।
8 km tunnel will connect Kedarnath Badrinath
इसके लिए सोनप्रयाग से कालीमठ-गुप्तकाशी तक डबल लेन बाईपास का निर्माण किया जाएगा। परियोजना के पूरा होने के बाद बाबा केदार के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालु शक्तिपीठ कालीमठ, कालशिला, रूच्छ महादेव तक भी पहुंच सकेंगे। कालीमठ सहित घाटी के प्राचीन मठ-मंदिरों तक श्रद्धालुओं की पहुंच बढ़ेगी। इतना ही नहीं रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिलेगी। परियोजना के तहत सोनप्रयाग-कालीमठ-गुप्तकाशी के बीच वन-वे बाईपास बनाया जाना है। जिस पर सोनप्रयाग से कालीमठ के बीच आठ किमी लंबी सुरंग बनेगी। साल 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ धाम में बड़े स्केल पर पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं। सोनप्रयाग और गौरीकुंड को रोपवे से जोड़ा जाना है। इसी कड़ी में केदारनाथ को कालीमठ घाटी से जोड़ने की योजना है। प्रोजेक्ट के तहत सोनप्रयाग से कालीमठ-गुप्तकाशी तक डबल लेन बाईपास बनाया जाएगा।
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जिस के बीच में 8 किमी लंबी सुरंग बनाई जाएगी। सड़क क्षेत्र में यह सुरंग पूरे उत्तराखंड में सबसे लंबी होगी। इस योजना पर लगभग 22 सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। शनिवार को मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने हेलीकॉप्टर से पूरी कालीमठ घाटी का हवाई निरीक्षण कर बाईपास व सुरंग निर्माण की संभावनाओं का जायजा लिया। उन्होंने कार्तिक स्वामी क्षेत्र का भी हवाई निरीक्षण किया। मुख्य सचिव ने कहा कि कनकचौरी से कार्तिक स्वामी ट्रैक को तीर्थाटन के साथ एडवेंचर और पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जाएगा। केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत ने कहा बाईपास के निर्माण से केदारनाथ समेत अन्य प्राचीन मंदिरों तक श्रद्धालुओं की पहुंच आसान बनेगी। डीएम रुद्रप्रयाग मयूर दीक्षित के मुताबिक कालीमठ घाटी से केदारनाथ यात्रा को जोड़ने के लिए कवायद शुरू हो गई है। जल्द ही एनएच के अधिकारियों व विशेषज्ञों के साथ सुरंग व बाईपास निर्माण को लेकर प्रारंभिक सर्वेक्षण किया जाएगा।