रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के एक और जवान ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। रुद्रप्रयाग निवासी हवलदार कुलदीप भंडारी शिलांग में ऑपरेशन ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए।
Rudraprayag Havildar Kuldeep Bhandari Martyr
शनिवार देर शाम शहीद का पार्थिव शव सेना के हेलीकॉप्टर से देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट लाया गया था। रविवार को मंदाकिनी नदी किनारे पैतृक घाट पर सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई। शहीद के 15 वर्ष के बेटे ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। शहीद कुलदीप भंडारी अपने पीछे बूढ़ी मां, पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए हैं। बताया जा रहा है कि शुक्रवार को सेना के जवान किसी ऑपरेशन पर जा रहे थे। इस दौरान जवान कुलदीप भंडारी शहीद हो गए। 42 वर्षीय हवलदार कुलदीप भंडारी का परिवार अगस्त्यमुनि ब्लॉक के फलई गांव में रहता है। वो 35 असम राइफल्स का हिस्सा थे। ग्राम प्रधान विजयपाल सिंह राणा ने बताया कि घटना के बारे में उन्हें बीते शुक्रवार दोपहर बाद सूचना मिली थी। लेकिन पुष्टि नहीं हो पाई। शनिवार को सेना के कार्यालय से फोन कर घटना के बारे में बताया गया।
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शहीद अपने पीछे बूढ़ी मां, पत्नी, 15 वर्षीय पुत्र आयुष व 18 वर्षीय पुत्री ईशा को छोड़ गए हैं। उनके पिता हुकुम सिंह भंडारी का काफी समय पहले निधन हो चुका है। ग्राम प्रधान विजयपाल सिंह राणा ने बताया कि जवान कुलदीप सिंह भंडारी डेढ़ माह पूर्व छुट्टी पर घर आए थे। वह काफी हंसमुख थे और गांव में होने वाले सामाजिक कार्यों में भी खूब उत्साह से भाग लेते थे। किसे पता था कि हवलदार कुलदीप सिंह भंडारी की ये छुट्टियां उनके जीवन की आखिरी छुट्टियां बन जाएंगी। वो पिछले कुछ समय से शिलांग में तैनात थे। शुक्रवार को जब परिवार को उनकी शहादत की खबर मिली तो वहां कोहराम मच गया। शनिवार को शहीद का पार्थिव शरीर देहरादून लाया गया। रविवार को पैतृक घाट पर सैन्य सम्मान के साथ शहीद कुलदीप भंडारी को अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान हर आंख में आंसू थे। शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और अधिकारी भी पहुंचे थे।