उत्तराखंड देहरादूनUttarakhand Dr Bina Tiwari Saving People in Turkey Syria Earthquake

उत्तराखंड की आर्मी अफसर बेटी ने जीता दुनिया का दिल, तुर्की में तबाही के बीच वायरल हुई ये फोटो

Dr. Bina Tiwari Saving People in Turkey उत्तराखंड की बेटी डॉ. बीना तिवारी न सिर्फ आपदा पीड़ितों का इलाज कर रही हैं, बल्कि उन्हें जिंदगी जीने का हौसला भी दे रही हैं।

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Image: Uttarakhand Dr Bina Tiwari Saving People in Turkey Syria Earthquake (Source: Social Media)

देहरादून: तुर्की-सीरिया में भूकंप से जो तबाही मची, उसने हर किसी को हिलाकर रख दिया है। अब तक मृतकों का आंकड़ा 28 हजार पार पहुंच चुका है।

Uttarakhand Dr. Bina Tiwari Saving People in Turkey

तुर्की और सीरिया को सहायता प्रदान करने के लिए भारत ने 'ऑपरेशन दोस्त' शुरू किया है। इस ऑपरेशन में उत्तराखंड की बेटी डॉ. बीना तिवारी भी अपनी टीम के साथ भूकंप पीड़ितों की सेवा में जुटी हैं। हाल में 28 वर्षीय मेजर डॉ. बीना तिवारी की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिनमें वो एक भूकंप पीड़ित महिला को गले लगाती नजर आईं। उनकी इस तस्वीर को देख लोग उन्हें सैल्यूट कर रहे हैं। मेजर डॉ. बीना तिवारी न सिर्फ आपदा पीड़ितों का इलाज कर रही हैं, बल्कि उन्हें जिंदगी जीने का हौसला भी दे रही हैं। डॉ. बीना तिवारी देहरादून के राघव विहार की रहने वाली हैं। वो अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो कि सेना में सेवा दे रही है। आगे पढ़िए

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उनके दादा खिलानंद तिवारी कुमाऊं रेजिमेंट में सूबेदार और पिता सूबेदार मेजर मोहन चंद्र तिवारी 16 कुमाऊं रेजिमेंट का हिस्सा रह चुके हैं। तुर्की में विनाशकारी भूकंप के प्रभावितों की मदद के लिए भारत से भेजे गए दल में डॉ. बीना तिवारी भी शामिल हैं। 16 पैराफील्ड रेजिमेंट के हॉस्पिटल की मेजर डॉ. बीना तिवारी ने दिल्ली के आर्मी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से एमबीबीएस किया है। उनके पिता मोहन चंद्र तिवारी ने बताया कि बिना ने दसवीं तक की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल क्लेमेंटटाउन से की है। मोहन तिवारी मूल रूप से चंपावत लोहाघाट के सुई खेस कांडे गांव के निवासी हैं। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि बेटी बीना मानवता की सेवा कर रही हैं। हमें उन पर हमेशा गर्व रहेगा। डॉ. बीना तिवारी एक अन्य वीडियो में 13 साल की लड़की नसरीन और उनकी मां का इलाज करती दिखीं। नसरीन ने आपदा में अपने परिवार के तीन सदस्यों को खोया है। नसरीन को 72 घंटे बाद मलबे से निकाला गया है । उनके पैर फ्रैक्चर हैं। मेजर. डॉ. बीना तिवारी ने कहा कि भले ही उनकी भाषा अलग है, लेकिन उनकी पूरी टीम आपदा पीड़ितों हरसंभव मदद में जुटी है।