देहरादून: अब एक अच्छी खबर उन नन्हें-मुन्ने बच्चों के लिए जिनके लिए स्कूल बैग किसी बोझ से कम नहीं। हर साल एक कक्षा ऊपर पहुंचते ही स्कूल बैग का वजन भी बढ़ जाता है।
Bag free day in uttarakhand schools
ऐसे स्कूली बच्चों की टेंशन कम करने के लिए राज्य सरकार बड़ा काम करने जा रही है। स्कूली बच्चों के लिए महीने का एक दिन बैग फ्री डे होगा। इसके लिए सरकार राज्य में संचालित सभी शिक्षा बोर्ड के साथ विचार-विमर्श करेगी। ये बात शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बुधवार को उत्तराखंड अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय और एससीईआरटी द्वारा आयोजित एनईपी- 2020 कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में कही। उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों में स्कूली बच्चों के बस्तों का बोझ उनके वजन से भी ज्यादा बढ़ गया है, जिसको कम करना उनके सर्वांगीण विकास के लिये जरूरी हो गया है। स्कूल बैग के बोझ को कम करने के लिए पाठ्यक्रम को त्रिमासिक एवं अर्द्धवार्षिक के हिसाब से बांटते हुये पाठ्य पुस्तकों एवं नोट बुक्स का चयन भी किया जा सकता है। आगे पढ़िए कुछ खास बातें
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इसके अलावा राज्य में संचालित विभिन्न बोर्डों के साथ टीचिंग शेयरिंग को लेकर अनुबंध भी किया जायेगा, ताकि अच्छे शिक्षकों को एक-दूसरे बोर्ड के स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिए बुलाया जा सके। बता दें कि बच्चों को बस्ते के भार से मुक्ति दिलाने के लिए स्कूल बैग पॉलिसी 2020 लागू है, लेकिन इसका सख्ती से पालन नहीं हो रहा। भविष्य उज्ज्वल करने वाली किताबें ही, स्कूली बच्चों पर सितम ढाने लगी हैं। भारी-भरकम बैग बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है, ऐसे में वो पढ़ाई पर ध्यान कैसे लगा पाएंगे। स्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि किताबों का वजन बच्चों की उम्र के आधा है। बच्चों का यह दर्द अभिभावक महसूस तो करते हैं, लेकिन फिर भी हर कोई स्कूल प्रशासन के आगे बेबस होकर रह जाता है।