चमोली: Joshimath sinking: अगर आप हिन्दू पुराणों, ग्रन्थों में लिखी बातों पर यकीन करते हैं, तो आपको आज एक और बात पर यकीन करना होगा। आज आपको मामना पड़ेगा कि हमारे शास्त्र, हमारे वेदों में लिखा सिर्फ लफ्फाजी नहीं बल्कि सत्य का सशक्त हस्ताक्षर है।
Prediction for Joshimath and badrinath
चलिए भूतकाल से बाहर निकलिए, वर्तमान को देखिए…जोशीमठ का जर्रा जर्रा थर्रा रहा है, लोगों की रूह कांप रही है, तबाही, बर्बादी, महाविनाश के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा। जिन लोगों ने जिंदगी भर की जमा पूंजी घर बनाने में लगा दी, वो घर उन्हें नम आंखों से छोड़ना पड़ रहा है, जो भी हो रहा है..वो पल पल डरा रहा है…ये तो हुई वर्तमान की बात…अब भूतकाल की तरफ एक सरसरी निगाह डालिए…हम आपको लिए चलते हैं स्थल पुराण की ओर…जहां एक गंभीर और विचित्र बात लिखी गई है। स्थल पुराणा कहता है कि एक दिन नर और नारायण पर्वत एक हो जाएंगे और बदरीनाथ का रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। इसका सीधा संबंध जोशीमठ नृसिंह देवता मंदिर में स्थित भगवान नृसिंह की मूर्ति से है। स्थल पुराण में लिखा गया है कि जिस दिन भगवान नृसिंह की शालिग्राम की मूर्ति की कलाई टूटेगी, उस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे। वो दिन तबाही का दिन होगा, भगवान बदरीनाथ के लिए जाने का रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। आश्चर्य की बात तो ये है कि भगवान नृसिंह की शालिग्राम मूर्ति की कलाई धीरे धीरे पतली होती जा रही है। अब जोशीमठ में ये तबाही किस बात का संकेत है? बदरीनाथ के लिए जाने का रास्ता जोशीमठ से ही है, ये तबाह हुआ…तो कैसे हो पाएंगे बदरी विशाल के दर्शन..आगे पढ़िए
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स्थल पुराण कहता है कि जिस दिन बदरीनाथ जाने का रास्ता महाविनाश की वजह से बंद होगा, तब भगवान बदरीविशाल के दर्शन भविष्य बदरी में होंगे। भविष्य बदरी में भी कुछ अद्भुत हो रहा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि भविष्य ब दरी में अद्भुत तरीके से भगवान नारायण की शालिग्राम की मूर्ति आकार ले रही है। लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और ये सब कुछ देखकर हैरान रह जाते हैं। विज्ञान के उस युग में ऐसी बातों पर यकीन करना असंभव तो है लेकिन कुछ तो बात है, वरना हमारे पुराणों में ऐसा क्यों लिखा गया होगा? उत्तराखंड को वैसे भी चमत्कारों, देवियों, देवताओं, स्थान देवताओं, कुल देवताओं वन देवताओं, आछरी, मातरियों की भूमि कहा गया है। जिस तरह से इंसानी दखल से देवताओं की इस धरती में मशीनों को शोर बढ़ा है, उसका परिणाम हमेशा विनाश के रूप में मिला है। केदारनाथ आपदा तो आपको याद ही होगी। ऐसे में अब जोशीमठ का भविष्य क्या है? ये भविष्य नृसिंह देवता की कलाई में छुपा है, या फिर भविष्य बदरी की चौखट पर? जवाब है जोशीमठ की ये तस्वीरें..ये विनाश का संकेत..ये तबाही का मंजर..सब कुछ सच सा होता दिख रहा है