देहरादून: देहरादून...वो शहर जिसे उत्तराखंड की राजधानी के रूप में पहचाना जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में इस शहर का नाम बड़े अदब से लिया जाता है।
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देश के कई बड़े राष्ट्रीय संस्थान इस शहर का मान बढ़ा रहे हैं। आज जो देहरादून शहर आप देख रहे हैं, वो ब्रिटिश शासनकाल में बेहद अलग हुआ करता था। आज हम आपको देहरादून शहर से जुड़े ऐसे राज बताने जा रहे हैं, जो आपको हैरान कर देंगे। सबसे पहले शहर के नाम की बात करते हैं। देहरादून दो शब्दों देहरा+दून से मिलकर बना है। जब सिख गुरु हर राय के पुत्र रामराय देहरादून आए तो उन्होंने अनुयायियों के रहने के लिए यहां अपना डेरा स्थापित किया। देहरादून शहर इसी डेरे के आस-पास बसना शुरू हुआ। इस प्रकार डेरा शब्द के साथ दून शब्द के जुड़ जाने के कारण इसे देहरादून कहा जाने लगा। बुजुर्ग लोग कहते हैं कि पुराने वक्त में यहां बर्फबारी हुआ करती थी, आपको भले ही यकीन न हो लेकिन ये बात है सौ टका सच। देहरादून में 11 जनवरी 1945 को पहली बार बर्फबारी हुई थी। साल 1943 में देहरादून शहर के थियेटर और सिनेमा हॉल में बार हुआ करते थे। भारत छोड़ो आंदोलन से भी इस शहर का गहरा नाता है। आगे पढ़िए
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1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान धामावाला स्थित कोतवाली में सैकड़ों सत्याग्रहियों को बंदी बनाकर रखा गया था। शहर का वो इलाका जिसे आज हम रेसकोर्स के नाम से जानते हैं, वहां साल 1885 में घोड़े दौड़ाए जाते थे। तब अंग्रेज मसूरी से दूरबीन की मदद से रेसकोर्स में दौड़ते घोड़ों को देखते थे। एशिया का पहला फॉरेस्ट्री कॉलेज ईस्टर्न फॉरेस्ट रेंजर कॉलेज देहरादून में है। जिसे अब फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता है। हेक्सागोनल टॉवर भी देहरादून में स्थित है, जिसे आज हम घंटाघर के नाम से जानते हैं। यहां सबसे अधिक तापमान चार जून 1902 को दर्ज किया गया, जो कि 43.9 डिग्री सेल्सियस था। जबकि सबसे कम तापमान एक फरवरी 1905 को -1.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। देहरादून शहर पहले मेरठ, सहारनपुर, कुमाऊं और गढ़वाल का भाग रहा है। तो देखा आपने देहरादून का कितना समृद्ध इतिहास रहा है। ऐसी कई रोचक जानकारियां पाने के लिए राज्य समीक्षा के साथ जुड़े रहें।