उत्तराखंड देहरादूनWomen movement for 30 percent horizontal reservation in Uttarakhand

उत्तराखंड: नौकरियों में 30% क्षैतिज आरक्षण चाहती हैं महिलाएं, जानिए क्या है आंदोलन की कहानी

uttarakhand women 30 percent horizontal reservation उत्तराखंड में महिला संगठनों ने फिर से ललकार लगाई है। ये ललकार 30 फीसदी क्षैतिज महिला आरक्षण की है।

Uttarakhand horizontal reservation: Women movement for 30 percent horizontal reservation in Uttarakhand
Image: Women movement for 30 percent horizontal reservation in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में महिला संगठनों ने फिर से ललकार लगाई है। ये ललकार 30 फीसदी क्षैतिज महिला आरक्षण की है।पारंपरिक वेशभूषा में आई महिलाओं आरक्षण को बहाल करने की मांग दोहराई है। आंदोलनकारियों ने तय कर दिया है कि सरकार को जगाने के लिए वो आंदोलन की हर हद तक जाएंगी। इस बार क्षैतिज आरक्षण हर हाल में लिया जाएगा। इसके बाद महिला संगठनों ने अपनी इस मांग को लेकर सचिवालय कूच किया। अब जानिए इस क्षैतिज आर्क्षण की कहानी क्या है।

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उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 18 जुलाई, 2001 से आरक्षण मिलना शुरू हुआ
तब 20 फीसदी आरक्षण से इसकी शुरूआत हुई थी
24 जुलाई, 2006 में इसमें बढ़ोतरी करते हुए 30 फीसदी कर दिया गया था
UKPSC EXAM में उत्तराखंड की महिलाओं को जनरल कोटे (अनारक्षित श्रेणी) से 30% आरक्षण मिलता था
2021 में लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा परीक्षा हुई
इसी वर्ष यानी 2021 में रिजल्ट घोषित हुआ
हरियाणा की एक महिला अभ्यर्थी पवित्रा चौहान इसके खिलाफ हाईकोर्ट चली गई थी
पवित्रा का तर्क था कि उसके नंबर उत्तराखंड की स्थानीय अभ्यर्थी से ज्यादा थे लेकिन उसे बाहर किया गया
पवित्रा ने कहा- ये आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 के विपरीत है..आगे पढ़िए

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24 अगस्त 2022 को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई
हाईकोर्ट ने 30% क्षैतिज आरक्षण दिए जाने वाले 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी
उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल कर दी है
उत्तराखंड सरकार की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वंशजा शुक्ला ने एसएलपी दाखिल की है
अब कानूनी दांव-पेंच के बाद ही तय होगा कि राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा या नहीं। उधर देहरादून में आंदोलन कर रही इन महिलाओं का कहना है कि ये कोई राजनीतिक मंच नहीं है, ये हमारे हकों की लड़ाई है। हमने ये राज्य पहाड़ की बेटियों और युवाओं के लिए मांगा था, लेकिन उन्हें आज भी नौकरी से वंचित होना पड़ रहा है। अपने हक की लड़ाई के लिए उत्तराखंड में महिला संगठन एकजुट हो रहे हैं। आरक्षण की ये लड़ाई आगे क्या रंग दिखाती है, ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा। लेकिन ये तय है कि महिलाओं ने आरक्षण के लिए आंदोलन का पूरा मन बना लिया है।