देहरादून: उत्तराखंड में अब बड़ा लोन आसानी से नहीं मिलेगा। अगर बैंक को एक करोड़ से ऊपर का लोन देना है, तो सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
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सहकारी बैंकों में बड़े लोन फर्जीवाड़े के मामले सामने आने के बाद सरकार ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार को ऋण देने में तय मानकों का पालन नहीं करने की शिकायतें भी मिल रही थीं। अब लोन फर्जीवाड़े को रोकने के लिए गाइडलाइन बनाई जा रही है, जिसके तहत एक करोड़ से ऊपर के लोन मंजूर करने से पहले शासन की मंजूरी लेनी होगी। सरकार ने बैंकों को यह प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है। बता दें कि व्यक्ति को जितना लोन लेना होता है, उससे डेढ़ गुना अधिक कीमत की संपत्ति गिरवी रखनी होती है। जो सर्किल रेट का डेढ़ गुना होनी चाहिए। पिछले कुछ सालों में बहुत कम सिक्योरिटी और कई बार तो बिना सिक्योरिटी के फर्जी कागजों के आधार पर ही ऋण दे दिए गए। जिसे बाद में वसूलना मुश्किल हो गया।
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बिना एमडी की मंजूरी के 8.5 करोड़ रुपये जारी करने पर बैंक मैनेजर को एमडी नीरज बेलवाल ने निलंबित भी कर दिया था। हालांकि बाद में कोर्ट ने मैनेजर को राहत देते हुए निलंबन वापस कर दिया। दरअसल राज्य सहकारी बैंक और पांच जिला सहकारी बैंकों ने मिल कर एक रिजॉर्ट के लिए कुल 81 करोड़ का ऋण मंजूर किया था, जबकि पहले रिजॉर्ट को 56 करोड़ का लोन दिया जाना था। इस लोन की किश्तों का भी समय पर भुगतान नहीं किया। इसके बाद भी दोबारा 25 करोड़ का लोन और मंजूर कर दिया गया। इस मंजूर लोन में से 8.5 करोड़ बिना एमडी की मंजूरी के ही दे दिए गए थे। ऐसे मामलों में अब सख्ती के साथ रोक लगाने की तैयारी की जा रही है। सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि बैंकों से लोन देने की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जा रहा है। uttarakhand loan scheme के तहत एक करोड़ से ऊपर के लोन की मंजूरी को रजिस्ट्रार और शासन स्तर से मंजूरी लेने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।