चमोली: उत्तराखंड में कनेक्टिविटी में सुधार के लिए बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है।
Uttarakhand longest bridge in Joshimath
बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए इन क्षेत्रों से जुड़े सभी सड़क मार्गों को डबल लाइन बनाया जा रहा है। ताकि चारधाम की यात्रा पर आने वाले यात्रियों को तकलीफ न हो। जाम से निजात दिलाने के लिए कई जिलों में बाइपास सड़क भी बनाई गई है। इसी कड़ी में एक बड़ा काम चमोली जिले में होने जा रहा है। यहां जोशीमठ नगर से पहले लगभग 20 किलोमीटर हेलंग से मारवाड़ी तक बाइपास सड़क बनाई जा रही है, जिसका काम शुरू कर दिया गया है। इस सड़क को 12 मीटर चौड़ा किया जाएगा, ताकि वाहन एक साथ टू वे लाइन से गुजर सकें। बाइपास सड़क के अंतर्गत हेलंग और मारवाड़ी के बीच जोशीमठ नगर के ठीक नीचे प्रस्तावित 300 मीटर का लंबा पुल बनाया जाना है। जिसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है।
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यह पुल उत्तराखंड का सबसे बड़ा और सबसे लंबा पुल होगा, जिसके बनने से बाइपास सड़क के निर्माण में मदद मिलेगी, समय बचेगा। पुल का निर्माण 66 करोड़ की लागत से होगा, जिसे बनाने के लिए विदेशी तकनीक का सहारा लिया जाएगा। बता दें कि उत्तराखंड में चारधाम परियोजना का काम जारी है।लगभग 889 किमी लंबी इस परियोजना का उद्देश्य हिमालय में चारधाम तीर्थस्थलों के लिये कनेक्टिविटी में सुधार करना है, ताकि यहां की यात्रा सुरक्षित, तेज और अधिक सुविधाजनक हो सके। इसी के तहत जोशीमठ हेलंग टू मारवाड़ी बाइपास में 300 मीटर लंबा ब्रिज बनेगा। जोशीमठ की जिलाधिकारी कुमकुम जोशी ने बताया कि बीआरओ इस कार्य की मॉनिटरिंग कर रहा है और जल्द ही मार्ग बनने की उम्मीद है। इस पुल को बनाने का मकसद लैंडस्लाइड जोन को रोकना है, साथ ही जोशीमठ नगर के नीचे तेजी के साथ कटाव न हो इसका भी ध्यान रखा जा रहा है।