उत्तराखंड देहरादूनUttarakhand Police 1999 Revolver Case

देहरादून पुलिस के लिए पहेली बनी एक रिवॉल्वर, 23 साल बाद मुकदमा दर्ज..पढ़िए 1999 की कहानी

पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी ये पता नहीं चल सका कि रिवॉल्वर आखिर कहां गई और इसे किसने गायब किया।

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Image: Uttarakhand Police 1999 Revolver Case (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून।

Dehradun Police 1999 Revolver Case

साल 1999 में यहां हत्या की कोशिश का एक मामला सामने आया। इस दौरान पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल रिवॉल्वर बरामद की, लेकिन नाटकीय रूप से ये रिवॉल्वर गायब हो गई। मामला लगातार उलझता चला गया। पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी ये पता नहीं चल सका कि रिवॉल्वर आखिर कहां गई और इसे किसने गायब किया। इन दिनों ये मामला एक बार फिर सुर्खियों में है, वो इसलिए क्योंकि एसएसपी के आदेश पर 23 साल बाद इस मामले में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। बता दें कि वर्ष 1999 में रिवॉल्वर के गायब होने का मामला पुलिस के लिए आज भी बड़ी पहेली बना हुआ है। उस वक्त बैलेस्टिक एक्सपर्ट की जांच के लिए रिवॉल्वर फोरेंसिक लैब आगरा भेजी गई थी, लेकिन पुलिस लाइन से रिवॉल्वर रिसीव करने वाले एसआई अब 80 वर्ष के हो चुके हैं और उन्हें कुछ याद नहीं है। घटना के दौरान के अभिलेख आमद एवं रवानगी जीडी से जुड़े रिकॉर्ड भी 2005 में ही नष्ट किए जा चुके हैं। आगे पढ़िए

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मामले में देहरादून से बुलंदशहर तक पत्राचार हुआ, लेकिन उसका नतीजा भी सिफर रहा। अब जांच अधिकारी की सिफारिश पर इस मामले में 23 साल बाद अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस के मुताबिक पटेलनगर थाने में दर्ज मुकदमे से संबंधित एक प्वाइंट 38 रिवॉल्वर को बैलेस्टिक एक्सपर्ट की जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा भेजा गया था। 16 नवंबर 1999 को एसआई जसवीर सिंह ने देहरादून पुलिस लाइन के शस्त्रागार से रिवॉल्वर प्राप्त किया था। इसके बाद रिवॉल्वर का कुछ पता नहीं चला। रिवॉल्वर की बरामदगी के लिए वर्ष 2020 में एक वाहक विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा भेजा गया, लेकिन वहां से भी स्पष्ट सूचना नहीं मिली। इसके बाद मामले की जांच एसएसपी ने एसपी सिटी को सौंपी थी। रिवॉल्वर प्राप्त करने वाले उपनिरीक्षक जसवीर सिंह का कहना है कि वो रिटायर हो चुके हैं, उनकी उम्र 80 साल है और उन्हें रिवॉल्वर को लेकर कुछ भी याद नहीं। उधर, जांच अधिकारी ने मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। अब इस मामले में 23 साल बाद एसएसपी के आदेश पर नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।