देहरादून: प्रदेश की राजधानी देहरादून में वैसे तो विकास के कई बड़े दावे किए गए हैं मगर धरातल की सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। यहां बिना नीति सड़क पर दौड़ रहे ई-रिक्शा घरेलू बिजली का गैर कानूनी रूप से व्यावसायिक उपयोग कर हर महीने सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की चपत भी लगा रहे हैं।
no charging points for e rickshaws in Dehradun
अब आप Power Game यानी बिजली का खेल समझिए। देहरादून में वादा किया गया था कि कई स्थानों पर चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे मगर कई स्थान तो छोड़िए देहरादून में अब तक एक भी चार्जिंग स्टेशन नहीं लग पाया है। ऐसे में यह रिक्शे घरेलू बिजली से रिक्शा चार्ज करते हैं और हर महीने इसका नुकसान सरकार को झेलना पड़ता है। दून शहर में तीन हजार से ज्यादा ई-रिक्शा हैं, मगर इनके लिए चार्जिंग स्टेशन एक भी नहीं है। एक ई-रिक्शा को चार्ज करने में लगभग नौ यूनिट बिजली की खपत होती है। इस लिहाज से हर रोज आमजन के हिस्से की करीब 27 हजार यूनिट घरेलू बिजली ई-रिक्शा की चार्जिंग में खप रही है। ई-रिक्शा की बैटरी को घरेलू की बजाय व्यावसायिक बिजली से चार्ज किया जाना चाहिए, मगर दून में ई-रिक्शा की बैटरी अवैध रूप से घरेलू बिजली से चार्ज की जा रही है। घरेलू बिजली का मूल्य 4.20 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि व्यावसायिक बिजली 5.80 रुपये प्रति यूनिट मिल रही है। इस तरह एक साल में तीन हजार ई-रिक्शा को चार्ज करने में 98 लाख 55 हजार यूनिट बिजली खर्च होने का अनुमान है। आगे पढ़िए
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इतनी बिजली की खपत होने पर ऊर्जा निगम को व्यावसायिक बिजली के हिसाब से लगभग 5.71 करोड़ रुपये राजस्व में मिलते वहीं दूसरी ओर ई-रिक्शा को चार्ज करने में घरेलू बिजली का उपयोग किए जाने से ऊर्जा निगम को सालाना 4.13 करोड़ रुपये ही मिल रहे हैं। इस लिहाज से ऊर्जा निगम को हर वर्ष डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है। एक ओर प्रदेश सरकार प्रदूषण रहित वाहनों के संचालन पर जोर दे रही है और इसके तहत बैटरी चलित वाहन (इलेक्ट्रिक व्हीकल) को राज्य सरकार प्रोत्साहित कर रही है मगर हैरानी की बात तो यह है कि इनकी चार्जिंग के लिए अभी राज्य में कोई चार्जिंग स्टेशन नहीं है। हालांकि, परिवहन विभाग ने शहर में चार्जिंग स्टेशन बनाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसके लिए कुल 12 स्थान चिह्नित किए गए हैं। वहीं इस मामले में आरटीओ प्रवर्तन सुनील शर्मा का कहना है कि ई-रिक्शा की चार्जिंग के लिए रिक्शा चालकों को व्यावसायिक बिजली का कनेक्शन लेना होता है। घरेलू बिजली से व्यावसायिक वाहनों की चार्जिंग नहीं की जा सकती। परिवहन विभाग इसकी सख्त जांच करेगा।