देहरादून: सेना को जांबाज अफसर देने के मामले में दून के राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज यानी आरआईएमसी का कोई सानी नहीं। देहरादून का राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज आज भी ये महान परंपरा बखूबी निभा रहा है। यहां के छात्र एनडीए जैसे संस्थानों की परीक्षा में टॉप पर रहते हैं।
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देहरादून में स्थित राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआइएमसी) का भी देशसेवा में अहम योगदान रहा है। आरआईएमसी को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़कवासला, अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी चेन्नई और भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून जैसे संस्थानों के लिए नर्सरी ऑफ लीडरशिप कहा जाता है। दून में गढ़ी कैंट के समीप आरआईएमसी संस्थान स्थित है। रक्षा मंत्रालय के अधीन सेना प्रशिक्षण कमान के माध्यम से कॉलेज संचालित होता है।
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अहम बात यह है कि सौ वर्ष पुराने मिलिट्री कॉलेज में पहली बार बेटियां भी पढ़ेंगी। सौ साल पूरे करने के अवसर पर संस्थान में तीन दिवसीय शताब्दी समारोह आयोजित किया जा रहा है। रविवार को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने शताब्दी वर्ष का शुभारंभ किया। बता दें कि सेना में महिलाएं चिकित्सा, शिक्षा, कानून, सिग्नल, इंजीनियरिंग सहित विभिन्न शाखाओं में सेवा दे रही हैं। अब सेना पुलिस में भी महिलाओं की भर्ती की जा रही है। इन बदलाव से युवतियां भी उसी प्रक्रिया से होकर सेना में आएंगी, जिस प्रक्रिया से युवक गुजरते हैं।देशभर से कुल 568 कैंडिडेट्स ने इन सीटों के लिए आवेदन किया था. इनमें से केवल पांच छात्राओं का सेलेक्शन होना है. इन पांच सीटों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित होगी. इसके साथ ही संस्थान को लड़कियों के लिए उचित बनाने और उनके लिए व्यवस्थाएं करने की दिशा में काम चल रहा है.