देहरादून: छह दिन तक चले सस्पेंस के बाद आखिरकार कांग्रेस ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को अपना लिया। उनकी वापसी से होने वाले नफा-नुकसान का गुणा-भाग करने के बाद ही कांग्रेस पार्टी में उनकी एंट्री हुई है। हरक के साथ उनकी बहू अनुकृति गुसांई भी कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत लगातार हरक की कांग्रेस में वापसी का विरोध कर रहे थे, लेकिन राजनीतिक और रणनीतिक मजबूरी के चलते कांग्रेस को हरक के लिए दरवाजे खोलने पड़े। कांग्रेस आलाकमान के फैसले के आगे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी समर्पण कर दिया। पांचवी विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव में कांग्रेस जीत के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है। इसी रणनीति के तहत बागियों के लिए कांग्रेस में एंट्री का रास्ता तैयार किया गया। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रीतम सिंह मोर्चे पर रहे और बीते सितंबर में पूर्व मंत्री यशपाल आर्य और विधायक रहे उनके बेटे संजीव की कांग्रेस में वापसी कराई। आगे पढ़िए
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बाद में हरक की वापसी की कोशिशें तेज हुईं तो प्रीतम सिंह ने हरक सिंह से बातचीत का मोर्चा संभाला, जबकि देवेंद्र यादव केंद्रीय स्तर पर पार्टी को साधने में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे। हरक सिंह रावत की वापसी आसान नहीं थी, क्योंकि हरीश रावत इसके लिए तैयार नहीं थे। हरदा को मनाने के लिए ही हरक की वापसी को छह दिन लटकाया गया। शुक्रवार को दोबारा माफी मांगे जाने के बाद हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री हो गई, लेकिन हरीश रावत की नाराजगी अब भी दूर नहीं हुई। हरीश रावत ने हरक के गले में पार्टी का पट्टा तो डाला, लेकिन दूरी भी बनाए रखी। हरक सिंह रावत लैंसडौन, डोईवाला, केदारनाथ और चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ने की इच्छा पहले भी जता चुके हैं, इसलिए माना जा रहा है कि कांग्रेस उनका रणनीतिक उपयोग बीजेपी की किसी सीट पर पेच फंसाने में करेगी। राजनीतिक प्रेक्षकों की राय में चुनावी गणित को अपने पक्ष में हल करने के लिए कांग्रेस हरक सिंह को एक अचूक सूत्र के तौर पर देख रही है। यही वजह है कि कांग्रेस ने सत्ता में आने के लिए राजनीतिक शुचिता की भी परवाह नहीं की।