हरिद्वार: हॉकी प्लेयर वंदना कटारिया। देश की वो होनहार खिलाड़ी जिन्हें भारतीय हॉकी टीम में जगह बनाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। कई सालों की मेहनत के बाद वंदना कटारिया को टोक्यो ओलंपिक में अपनी हॉकी का दम दिखाने का मौका मिला, और वो क्या गजब खेलीं। इस वक्त हर जुबान पर उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया का नाम है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में शानदार खेल का प्रदर्शन कर इतिहास रच दिया। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में वंदना ने तीन गोल दागे और टीम को जीत दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई।बता दें कि 1984 के बाद किसी भारतीय ने ओलंपिक में हैट्रिक नहीं लगाई थी। वंदना ने ओलंपिक में हैट्रिक लगाकर पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी का यह खिताब भी अपने नाम कर लिया है। आज हम वंदना की सफलता देख रहे हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने का उनका सफर हर आम खिलाड़ी की तरह बेहद मुश्किल भरा रहा। वो हरिद्वार की रहने वाली हैं।
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मई 2021 में वंदना ओलंपिक के लिए बेंगलुरु में चल रहे कैंप में तैयारी कर रही थीं। तभी अचानक उनके पिता नाहर सिंह का निधन हो गया। वंदना रोती-बिलखती रहीं, लेकिन अपने पिता के अंतिम दर्शन के लिए गांव नहीं आ पाईं। उन्होंने अपनी हिम्मत बांधी और ओलंपिक की तैयारी में जुट गईं। आज उन्होंने अपने प्रदर्शन से सिर्फ अपने परिवार और प्रदेश को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है। वंदना कटारिया का जन्म 15 अप्रैल 1992 में रोशनाबाद में हुआ। उन्होंने पहली बार जूनियर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में 2006 में प्रतिभाग किया। वर्ष 2013 में वो देश में सबसे अधिक गोल करने का रिकॉर्ड बनाने में सफल रहीं। जर्मनी में हुए जूनियर महिला विश्वकप में वंदना कटारिया कांस्य पदक विजेता बनीं। वह भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं। ओलंपिक में वंदना के शानदार प्रदर्शन से गांव में जश्न का माहौल है। परिजनों को उम्मीद है कि करोड़ों भारतीयों की दुआओं से महिला हॉकी टीम ओलंपिक में मेडल जीतने में जरूर कामयाब होगी। ग्रामीण वंदना के परिवार के लोगों को शुभकामनाएं देने पहुंच रहे हैं, उनके उज्जवल भविष्य की कामना कर रहे हैं।