उत्तरकाशी: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद से उत्तराखंड के सियासी गलियारों में हलचल मचा रखी है। 4 महीने भी अपने कुर्सी पर नहीं टिकने वाले तीरथ सिंह रावत जाते-जाते और भी कई रिकॉर्ड बना कर गए हैं। वहीं अपनी पार्टी की छवि को बचाने के लिए और पार्टी का दबदबा राज्य में बरकरार रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस्तीफा संवैधानिक मजबूरी था मगर विपक्ष इस बात को पूरी तरह नकार चुका है और भाजपा और त्रिवेंद्र सिंह रावत के ऊपर लगातार तीखे कटाक्ष और प्रहार कर रहा है। उपचुनावों को लेकर कई तरह के प्रश्न उठ रहे हैं। हाल ही में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ताल ठोक कर कहा था कि वे उप चुनाव लड़ेंगे और जरूर लड़ेंगे। गंगोत्री की सीट से वे चुनाव लड़ेंगे यह तक तय कर लिया गया था। मगर उसके बाद अचानक ही उनको इस्तीफा देना पड़ा। आखिर इसके पीछे क्या वजह है। इसी बात को लेकर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तीरथ सिंह रावत को और भारतीय जनता पार्टी को तमाम सवालों से घेर लिया है।
ये भी पढ़ें:
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: कोई CM नहीं तोड़ सका एनडी तिवारी का रिकॉर्ड, तीरथ भी 114 दिन ही टिके
दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तीरथ सिंह रावत और भारतीय जनता को तीखे सवालों और कटाक्ष से घेरते हुए ट्वीट किया कि भारतीय जनता पार्टी गंगोत्री सीट में रावत जी को चुनाव लड़ाने से डर रही थी। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा के गंगोत्री सीट के सर्वे के मुताबिक आम आदमी पार्टी के कर्नल कोठियाल भारी मतों से जीत रहे थे और यही वजह है कि तीरथ सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी ने हार के डर से इस्तीफा दिलवाया। उन्होंने ट्वीट में लिखा" गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक उत्तराखंड में उपचुनाव करवाए जा सकते थे। इसका मतलब है कि तीरथ सिंह रावत जी ने संवैधानिक संकट की वजह से इस्तीफा नहीं दिया है। भाजपा के गंगोत्री सीट के सर्वे में आम आदमी पार्टी के कर्नल अजय कोठियाल भारी मतों से जीत रहे थे और यही वजह रही कि तीरथ सिंह रावत जी को इस्तीफा दिलवाया गया।" बता दें कि बीते शुक्रवार को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सवा 11 बजे अपना इस्तीफा राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को सौंपा और अब भारतीय जनता पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री चुना है।