चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले के घाट ब्लॉक में स्थित रामणी गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत किए गए कार्यों में भारी लापरवाही देखी गई थी जिसके ऊपर डीएम स्वाति एस भदोरिया द्वारा सख्त एक्शन लिया गया है और उन्होंने तत्कालीन रूप से ग्राम पंचायत अधिकारी मनोज कुमार और ग्राम प्रधान सुलोचना देवी के खिलाफ 3 दिन के अंदर-अंदर सरकारी धन के गबन के मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं। जी हां, गांव में हुए स्वच्छ भारत मिशन के तहत रामणी गांव में भारी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई थीं और ग्राम प्रधान एवं पंचायत अधिकारी द्वारा सरकार द्वारा ग्रामीणों को देने के लिए प्रदान किए गए लाखों रुपए का गबन किया गया था, जिस पर डीएम स्वाति भदौरिया ने तुरंत एक्शन लिया और उनके खिलाफ 3 दिन के भीतर भीतर एफआईआर दर्ज कराने के भी निर्देश दे दिए गए हैं। मिली गई जानकारी के मुताबिक रामणी गांव के एक निवासी ने आरटीआई में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के संबंध में एक शिकायत पत्र जिलाधिकारी चमोली को दिया था जिसके बाद इस पूरे मामले में तुरंत ही एक्शन लेते हुए स्वाति भदौरिया ने तत्काल जांच के निर्देश दिए थे। जांच में वित्तीय अनियमितता की समस्याएं सामने आई हैं।
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दरअसल 2017 में परियोजना प्रबंधक स्वजल चमोली गोपेश्वर द्वारा ग्रामसभा रमणी के कुल 138 लाभार्थियों को पहली और दूसरी किश्त के तहत 4 हजार प्रति किश्त की दर से कुल 11 लाख 4 हजार की धनराशि प्रदान की गई थी। उसी धनराशि में से ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा काफी पैसा अपने पास गबन कर लिया गया था। जब जिलाधिकारी के पास इस पूरे मामले की शिकायत गई तो उन्होंने अधिकारियों को पूरे मामले की गहराई से जांच पड़ताल करने के निर्देश दिए और पूछताछ में यह पाया कि कुछ लाभार्थियों ने प्रथम किश्त में 4 हजार के स्थान पर 3 हजार पाए हैं और दूसरी किश्त के रूप में जिन 138 लाभार्थियों को भुगतान किया जाना था, उनमें से कइयों को भुगतान नहीं किया गया। वहीं इसकी रसीद भी पंजिका में उपलब्ध नहीं है। सरकारी धन के दुरुपयोग होने की आशंका पर नोटिस जारी किया गया। ग्राम पंचायत अधिकारी मनोज कुमार का कहना है उनके कार्यालय में 40 लाभार्थियों को 4 हजार के दर से प्रथम किस्त के रूप में कुल 1.60 लाख वितरित किए गए थे और उसकी प्राप्ति रसीद भी दी गई है।
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जब पंजिका की जांच की गई तो उस में पाया गया कि पहली दूसरी एवं तीसरी किश्त का भुगतान अभी भी बाकी है, जबकि गांव की कुछ ही लाभार्थियों को पहली किश्त मिली है। गांव के लोगों ने बताया कि पहली किश्त के रूप में उनको 3 हजार रुपए नगद दिए गए थे, जबकि पंजिका में 4 हजार अंकित किया गया है। वहीं ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गांव के कई लाभार्थियों को तो पहली किस्त मिली ही नहीं है और उनके नाम के आगे नकली हस्ताक्षर कर दिए गए हैं जबकि उनको हस्ताक्षर करने ही नहीं आते। कुछ ने बताया कि वे हस्ताक्षर करना जानते हैं मगर उनके नाम के आगे अंगूठा लगाया गया है और उनको पहली किश्त का पैसा भी नहीं मिला है। वहीं कुल 38 लाभार्थियों के दूसरे किश्त में उनको 1,52000 का भुगतान दिखाया गया है जबकि उनका कहना है कि उनको कोई भी द्वितीय किश्त का भुगतान किया ही नहीं गया है। इस पूरे प्रकरण के अंदर ग्राम पंचायत अधिकारी के हस्ताक्षर हैं। इस पूरी जानकारी से यह स्पष्ट हुआ कि ग्राम पंचायत सुलोचना देवी ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वीकृत धनराशि में लाखों रुपए का गबन किया है और और ग्रामीणों के हिस्से में आने वाली धनराशि का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने अपने झोले में डाल कर काफी बड़ी धांधली भी की है जिसका खुलासा हो चुका है। साथ ही तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी मनोज कुमार भी सरकारी धन के गबन में दोषी पाए गए हैं जिसके बाद जिला अधिकारी स्वाति भदौरिया ने इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दे दिए हैं।