देहरादून: उत्तराखंड में तैनात पीआरडी स्वयंसेवकों के लिए एक बेहद सुखद खबर सामने आ रही है। उत्तराखंड सरकार द्वारा पीआरडी स्वयंसेवकों का वेतन बढ़ाने के लिए सराहनीय कदम उठाया गया है। उत्तराखंड सरकार जल्द ही प्रांतीय रक्षक दल स्वयं सेवकों का मानदेय होमगार्ड के बराबर करने की तैयारी कर रही है। जी हां, अब जल्द ही प्रांतीय रक्षक दल स्वयं सेवकों की तनख्वाह भी होमगार्ड के बराबर होने वाली है। पीआरडी ने वेतन बढ़ाने के लिए कोर्ट के दरवाजे भी खटखटाए थे। इसके बाद राज्य सरकार ने पीआरडी पद पर तैनात कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने की तैयारियों में हैं। इसके लिए युवा कल्याण विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार कर दिया गया है। और वित्त विभाग को भेज दिया गया है। वित्त विभाग द्वारा अनुमति देने के बाद पीआरडी कर्मियों का मानदेय बढ़ा दिया जाएगा। इसपर अगले साल जनवरी आखिरी तक निर्णय आ सकता है। आगे पढ़िए
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इस निर्णय से प्रदेश के 7000 से अधिक पीआरडी स्वयंसेवकों को फायदा होगा। बता दें कि राज्य में इस समय 7000 से भी अधिक पीआरडी स्वयंसेवक अलग-अलग विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनको लिपिक, अनुसेवक समेत अलग-अलग विभागों में तैनात किया गया है। अभी पीआरडी स्वयंसेवकों की तनख्वाह 500 रुपए प्रतिदिन है यानी कि पूरे महीने काम करने पर उनको 15,000 का मानदेय मिलता है। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में सभी राज्यों के होमगार्ड को पुलिसकर्मियों के समान वेतन देने के आदेश जारी किए थे। उत्तराखंड राज्य में यह आदेश 2019 में लागू हुआ था। इसके तहत राज्य में तैनात होमगार्डों को 600 रुपए प्रतिदिन मानदेय दिया जाना निश्चित हुआ था। इसका अर्थ है कि 30 दिन काम करने के लिए होम गार्डों को 18,000 रुपए देना तय हुआ था।
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होमगार्ड का वेतन बढ़ने के बाद अब पीआरडी स्वयंसेवकों ने भी अपना मानदेय बढ़ाने की मांग की है और कुछ पीआरडी स्वयंसेवकों ने प्रदेश के सभी प्रांतीय रक्षक दल स्वयं सेवकों की तनख्वाह बढ़ाने को लेकर कोर्ट के दरवाजे खटखटाए हैं। प्रदेश सरकार ने भी उनके इस मांग को अस्वीकार नहीं किया और इस पर कार्यवाही करते हुए अब आगे इसके ऊपर काम कर रही है। सरकार ने युवा कल्याण विभाग को प्रस्ताव बनाकर शासन में भेजने को कहा है। वित्त विभाग इस पर सोच- विचार कर रहा है और सभी पीआरडी स्वयं सेवकों का मानदेय बढ़ाने से सरकार पर आने वाले वित्तीय भार का भी आकलन कर रहा है। एक बार वित्त विभाग की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद उस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा। अगले साल जनवरी तक इस संबंध में फैसला लिया जाने की उम्मीद जताई जा रही है।