देहरादून: उत्तराखंड के श्रम एवं वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के हालिया बयान पर सियासी घमासान मचा है। हरक सिंह रावत ऐलान कर चुके हैं कि वो अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। डॉ. हरक सिंह रावत को कुछ दिन पहले उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था, तभी से हरक सिंह रावत कोपभवन में बैठे हैं। उनकी नाराजगी दूर नहीं हो रही। वहीं हरक को उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड अध्यक्ष पद से हटाने के फैसले पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने चुटकी ली है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने बुधवार को अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि हरक सिंह को बोर्ड अध्यक्ष बनाना बिल्कुल ऐसा ही है, जैसे बिल्ले को दही की रखवाली की जिम्मेदारी सौंपना। ऐसा होगा तो दही पर पंजा पड़ेगा ही। पूर्व सीएम हरीश रावत ने इसकी और भी कई वजहें गिनाईं। बुधवार को एक बयान में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड का गठन उनके मुख्यमंत्रित्व काल में हुआ था। इसका उद्देश्य श्रमिकों का कल्याण करना था। उनकी सरकार रहने के दौरान ही बोर्ड में 200 करोड़ रुपये तक जमा हो गए थे। लेकिन बाद में गरीबों के नाम के इस पैसे को गलत तरीके से खर्च किया गया। उन्होंने हरक सिंह को बोर्ड अध्यक्ष बनाने पर सवाल भी उठाए। आगे पढ़िए
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हरीश रावत बोले कि सीएम के पास हरक सिंह को बोर्ड अध्यक्ष पद से हटाने का अधिकार है। मंत्री को बोर्ड अध्यक्ष के पद से हटाने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास सुरक्षित रहता है। हरीश रावत बोले कि मुख्यमंत्री चाहे तो मंत्री को हटा भी सकता है। आपको बता दें कि उत्तराखंड भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने बीते शुक्रवार को ऐलान किया कि वह 2022 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। हालांकि इस दौरान उन्होंने बोर्ड अध्यक्ष पद को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हरक बोले कि वो इस मामले में सीएम त्रिवेंद्र रावत से मिल कर बात करेंगे। इसके बाद ही कुछ कहेंगे। इस मसले पर मंत्री हरक बेहद नाराज बताए जा रहे हैं।