उत्तराखंड देहरादूनElections of deputy head may be held in this month

उत्तराखंड में इस दिन हो सकते हैं उपप्रधानों के चुनाव, जल्द जारी होगी अधिसूचना

प्रदेश में 202 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जहां अब तक पंचायत का गठन नहीं हो सका है...

उत्तराखंड उपप्रधान चुनाव: Elections of deputy head may be held in this month
Image: Elections of deputy head may be held in this month (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड की ग्राम पंचायतों को मुखिया मिल गए हैं, अब उपप्रधानों के चुनाव होने हैं। हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में इसी महीने के आखिर में उपप्रधानों के चुनाव होने वाले हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयारी कर ली है। इस संबंध में एक प्रस्तावित कार्यक्रम शासन को भेजा गया है। जिस पर मंथन चल रहा है। उम्मीद है प्रस्ताव को एक-दो दिन के भीतर शासन की हरी झंडी मिल जाएगी, जिसके बाद चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी। उपप्रधानों के चुनाव इसी महीने के आखिर में हो सकते हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में सामान्य निर्वाचन और उपनिर्वाचन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सूबे की 7485 ग्राम पंचायतों में से 7283 में पंचायतों का गठन हो चुका है। पंचायतों को प्रधान मिल गए हैं और अब उपप्रधान चुने जाने हैं। चुनाव इस महीने के आखिरी हफ्ते में होने की संभावना है। निर्वाचन आयोग मौसम पर भी नजर बनाए हुए है। अगर बारिश-बर्फबारी जारी रही तो उपप्रधानों के चुनाव फरवरी तक कराए जा सकते हैं। जहां अब तक पंचायतों का गठन नहीं हो पाया है, वहां भी चुनाव कराए जाएंगे। हरिद्वार को छोड़ कर राज्य के सभी 12 जिलों में 202 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जहां अब तक पंचायतों का गठन नहीं हो पाया है। अब इन पदों पर उपनिर्वाचन के लिए शासन स्तर पर कवायद शुरू कर दी गई है।

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आपको बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में प्रदेश के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुए थे, जिसमें से 202 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जहां अब तक पंचायत का गठन नहीं हो सका है। हर जिले में ऐसी कितनी पंचायतें हैं, ये भी आपको बताते हैं। अल्मोड़ा में 61, पौड़ी में 61, चमोली में 18, बागेश्वर में 17, टिहरी में 16 और रुद्रप्रयाग में 12 पंचायतों का गठन नहीं हुआ है। इसी तरह पिथौरागढ़ में भी 11, ऊधमसिंहनगर में 10, नैनीताल में 08, चंपावत में 07, उत्तरकाशी में 05 और देहरादून में 02 पंचायतों का गठन नहीं हो सका है। पंचायतीराज विभाग ने संबंधित जिलों से उन ग्राम पंचायतों का ब्योरा मांगा है, जहां अब तक पंचायतों का गठन नहीं हुआ है। मंथन के बाद उपचुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा जाएगा। फरवरी तक खाली पदों पर उपनिर्वाचन होने की उम्मीद है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में प्रस्तावित कार्यक्रम शासन को भेजा है।