Video: चमोली की सपूत को मिला शौर्य चक्र, राष्ट्रपति और पीएम मोदी ने किया सलाम
Video: चमोली की सपूत को मिला शौर्य चक्र, राष्ट्रपति और पीएम मोदी ने किया सलाम
आदिशा
29 Mar 2018
राष्ट्रीय
61577
उत्तराखंड के सपूत को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। दरअसल साल 2016 में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में सेना ने आतंकियों को खत्म करने के लिए एक अभियान चलाया था। इस अभियान के लिए सेना की टुकड़ी में सुरेंद्र सिंह फरस्वाण भी थे। इस सर्च ऑपरेशन की खबर आतंकवादियों को भी लग गई थी। इसके बाद आतंकवादियों ने सेना पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी। आतंकियों ने भागने की कोशिश की थी। इस बीच नायब सूबेदार सुरेंद्र सिंह फरस्वाण ने एक भी वक्त नहीं गंवाया और ना ही अपनी जान की परवाह की। सुरेंद्र सिंह भारत माता की जय जयकार करते हुए उस चट्टान की तरफ दौड़ पड़े, जिसके पीछे आतंकी छुपे थे। आतंकवादियों ने इसके बाद नायब सूबेदार सुरेंद्र सिंह पर दो ग्रेनेड फेंके, लेकिन सुरेंद्र लगातार आगे बढ़ते गए। सुरेंद्र सिंह उस चट्टान पर चढ़ गए, जहां से आतंकवादी फायरिंग कर रहे थे।
यह भी पढें - Video: गढ़वाल राइफल...सबसे ताकतवर सेना, शौर्य की प्रतीक वो लाल रस्सी, कंधों पर देश का जिम्मा
चट्टान के पीछे छुपे दो आतंकियों के ऊपर सुरेंद्र सिंह आ गए। एक आंतकवादी को वहीं पर मार गिराया। इसके बाद दूसरे आतंकवादी ने उन पर ग्रेनेड फेंका, तो सुरेंद्र सिंह इस ग्रेनेड से भी खुद को बचाकर आतंकवादी की आंखों से आखें मिलाने लगे। अदम्य साहस और अपनी जान की परवाह ना करते हुए इस सपूत ने उस आतंकवादी को भी वहीं ढेर कर दिया। इस अदम्य वीरता के लिए चमोली जिले के इस लाल को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। इस समारोह में देश के प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। सेना के उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में जब सुरेंद्र सिंह फरस्वाण का नाम गूंजा, तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा भवन गूंज उठा। नायब सूबेगार सुरेंद्र सिंह फरस्वाण मूलरूप से चमोली जिले के थराली प्रखंड के रहने वाले हैं। वो सोलपट्टी-बूंगा गांव की धरती के वीर सपूत हैं। वर्तमान में सुरेंद्र सिंह फरस्वाण का परिवार देहरादून में रहता है, वो भारतीय सेना की 4-पैरा में तैनात हैं।
यह भी पढें - शहीद की पत्नी का मार्मिक खत..‘आज तक उनकी वर्दी नहीं धोई, जब बहुत याद आती है तो पहन लेती हूं’
जैसा कि कहा जाता है कि पहाड़ के लोगों के खून में मातृभूमि की सेवा का जज्बा है। ऐसा ही जज्बा सुरेंद्र के खून में बचपन से था। उनके पिता भी सेना से रिटायर्ड हैं। साल 1993 में सुरेंद्र ने राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज गरूण से 12वीं पास की थी। इसके बाद ही वो सेना में भर्ती हो गए थे। देश के सेना के लिए सुरेंद्र 22 साल से ज्यादा का वक्त दे चुके हैं। सलाम है ऐसे सपूतों को जो देवभूमि का मान बढ़ा रहे हैं। देखिए उनको सम्मानित किया जाने वाला वीडियो।