देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए अच्छी खबर है। अब उनसे जुड़े सभी दस्तावेज डिजिटाइज होंगे। दस्तावेजों के डिजिटाइज होने के कई फायदे हैं। ई-रिकॉर्ड होने पर दस्तावेजों को खंगालने में मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। कर्मचारियों और पेंशनर्स से जुड़े मामलों का निस्तारण जल्द से जल्द होगा। प्रदेश सरकार डिजिटल लाइब्रेरी बनाने जा रही है। जिसमें ऑडिट रिपोर्ट और दूसरे शासनादेश रखे जाएंगे। डिजिटल लाइब्रेरी का निर्माण विश्व बैंक की मदद से होगा। सरकार प्रदेश के कर्मचारियों, पेंशनर्स और बजट से जुड़े दस्तावेजों को डिजिटाइज करने की तैयारी में जुटी है।
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आपको बता दें कि प्रदेश में विश्व बैंक की मदद से ई ऑफिस परियोजना शुरू की गई है। जिसका उद्देश्य लोक वित्तीय प्रबंधन को मजबूत करना है। ये ऑफिस जनवरी 2020 यानि अगले साल तक प्रदेश में स्थापित किया जाना है। वित्त सचिव ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। डिजिटल लाइब्रेरी के जरिए क्या-क्या काम होंगे, और इसका क्या महत्व है, ये भी जान लें। प्रदेश में लोक प्रबंधन से जुड़े दस्तावेजों को डिजिटाइज किया जाएगा। साल 2012 के बाद के दस्तावेजों का ई-रिकॉर्ड रखा जाएगा। सभी डॉक्यूमेंट्स का ई-रिकॉर्ड होगा तो उन्हें चेक करना भी आसान होगा। एक क्लिक पर सारी जानकारी कंप्यूटर स्क्रिन पर होगी। इससे दस्तावेजों को खंगालने में खपने वाला समय बचेगा। कर्मचारियों और पेंशनर्स से जुड़े मसलों पर जल्द कार्यवाही होगी। डिजिटल लाइब्रेरी बनाने के लिए नियोजन विभाग विश्व बैंक की मदद लेगा। इसके लिए विभाग ने वर्ल्ड बैंक को प्रस्ताव भेज दिया है। ये स्टेट ऑफ आर्ट परियोजना होगी, जिसे एक मॉडल के तौर पर विकसित किया जाएगा। सभी शासनादेशों और ऑडिट रिपोर्ट के साथ ही जरूरी दस्तावेजों को स्कैन कर डिजिटल लाईब्रेरी में स्टोर किया जाएगा।