उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालharish kala from kyusu village uttarakhand

पहाड़ में अपने गांव लौटा ये बॉलीवुड एक्टर, शहर छोड़ा..अब जिंदगी भर यहीं रहेंगे

ये एक्टर चाहते तो मुंबई में आराम की जिंदगी बिता सकते थे, पर उन्होंने अपने गांव में रहने का विकल्प चुना...

उत्तराखंड न्यूज: harish kala from kyusu village uttarakhand
Image: harish kala from kyusu village uttarakhand (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: इस वक्त उत्तराखंड पलायन की समस्या से जूझ रहा है। पलायन पर गोष्ठियां होती है, चर्चा होती है, पर ये सब शहरों में हो रहा है, सोशल मीडिया पर हो रहा है। पलायन पर चिंता से गांवों के हालात नहीं सुधर रहे और सच तो ये है कि हालात तब तक सुधरेंगे भी नहीं, जब तक लोग अपने गांव-घरों में जाकर रहेंगे नहीं...गांव में बसने की सोचेंगे नहीं। ऐसे वक्त में भी कुछ लोग हैं जो कि वास्तव में पलायन को खत्म करने के लिए खुद से शुरुआत कर रहे हैं। बॉलीवुड के मशहूर एक्टर हरीश काला भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं। हरीश काला रिवर्स पलायन कर नजीर बन चुके हैं। बुजुर्ग हरीश काला श्रीनगर गढ़वाल स्थित अपने गांव लौट आए हैं। वो क्यूंसू गांव में रह रहे हैं, जो कि श्रीनगर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हरीश काला किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वो कई फिल्मों और हिंदी टीवी शोज में काम कर चुके हैं।

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जब हरीश काला ने गांव छोड़ा था, उस वक्त उनकी उम्र 25 साल थी। पहाड़ के गांव से निकल कर वो मायानगरी मुंबई पहुंच गए। जहां कई साल के संघर्ष के बाद वो स्थापित हो गए। अपने जीवन के 30 साल उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को दिए। साल 1989 में अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म फेस्टिवल में उनकी फिल्म 'दाज्यू' का प्रदर्शन हुआ, जिसे खूब सराहा गया। वो उधार का सिंदूर, मृत्युदंड जैसी 35 से ज्यादा फिल्मों और टीवी शोज में काम कर चुके हैं। हरीश मुंबई में एक बेहतर जिंदगी बिता रहे थे, पर उन्हें हमेशा किसी कमी का अहसास होता था। फिर उन्होंने अचानक सारी सुख-सुविधाएं छोड़ दीं और गांव आकर बस गए। आज हरीश गांव में सुकून की जिंदगी बिता रहे हैं और खुश भी हैं। वो कहते हैं कि पलायन को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि हम गांव में, अपने घरों में रहें। उनकी देखभाल करें। पलायन से पार पाने के लिए हमें ये करना ही होगा।