उत्तराखंड divya rawat mushroom girl from uttarakhand

देवभूमि की बेटी को अनंत शुभकामनाएं, एक कमरे से शुरू की थी कंपनी, अब विदेश में भी बढ़ी डिमांड..सैकड़ों लोगों को रोजगार

स्वरोजगार से सफलता का सफर कैसे तय करना है ये कोई 29 साल की मशरूम गर्ल दिव्या से सीखे...जानें उनके संघर्ष की कहानी

दिव्या रावत: divya rawat mushroom girl from uttarakhand
Image: divya rawat mushroom girl from uttarakhand (Source: Social Media)

: मन में कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो राहें अपने आप निकल आती हैं। उत्तराखंड की मशरूम गर्ल दिव्या रावत ने इस पंक्ति को सच कर दिखाया है। मशरूम उत्पादन में अपनी अलग पहचान बना चुकीं दिव्या अब लैब में कीड़ा जड़ी (यारशागुंबा) के प्रोडक्ट तैयार कर रही हैं। अपने इस काम की बदौलत वो हर साल ना सिर्फ करोड़ों रुपये का टर्नओवर अर्जित कर रही हैं, बल्कि पहाड़ में सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दे रही हैं। दिव्या ट्रेनिंग टू ट्रेडिंग कांसेप्ट पर काम कर रही हैं। आज हम दिव्या रावत की सिर्फ सफलता देखते हैं, लेकिन इस सफलता के पीछे उनका कड़ा संघर्ष छिपा है। बात साल 2011-12 की है, दिव्या दिल्ली में नौकरी करती थीं, उन्हें हर महीने 25 हजार रुपये मिलते थे। दिव्या अपने गांव जाकर कुछ अलग करना चाहती थीं। उन्होंने हिम्मत जुटाई और नौकरी छोड़कर देहरादून चली गई। साल 2013 में उन्होंने मोथरोवाला में एक कमरे में सौ बैग मशरूम उगाए। धीरे-धीरे सफलता मिलती गई। और दिव्या का उगाया मशरूम देहरादून से लेकर दिल्ली तक बिकने लगा। उन्हें उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश बुलाया जाने लगा, जहां दिव्या ने कई लोगों को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दी। आज दिव्या के उगाए मशरूम प्रोडक्ट देश ही नहीं विदेशों में भी बिक रहे हैं।

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इस सफलता ने दिव्या को प्रेरित किया और अब उन्होंने मोथरोवाला में 1 करोड़ से ज्यादा की लागत से एक लैब तैयार की है, जिसमें दुर्लभ कीड़ा जड़ी पर काम होता है। दुर्लभ कीड़ा जड़ी हिमालयी क्षेत्र में मिलती है। फूड प्राइवेट लिमिटेड के बाद दिव्या ने स्पोन लैब प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई है। जहां कीड़ा जड़ी से कई प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। इनमें चाय, कैप्सूल, हेल्दी मशरूम मसाला, अचार जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं। कीड़ा जड़ी के प्रोडक्टस की ऑनलाइन बिक्री की जा रही है। कीड़ा जड़ी से बनी चाय की दून में बहुत डिमांड है। अमेरिका, चीन और जापान में भी इसे इस्तेमाल किया जाता है। दिव्या मूलरूप से चमोली की रहने वाली हैं। उनका परिवार देहरादून में रहता है। जब वो 12वीं में थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। दिव्या ने नोएडा से सोशल वर्क में डिग्री ली है। दिव्या की उपलब्धियों की एक लंबी फेहरिस्त है। उन्हें उत्तराखंड सरकार ने अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया है। वो राष्ट्रपति के हाथो सम्मान पा चुकी हैं। दिव्या की सफलता का सफर जारी है, उन्होंने पहाड़ की महिलाओं और बेटियों को सफलता की नई राह दिखाई है।

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