उत्तराखंड उत्तरकाशीgangotri high way may face land slide says report

देवभूमि के गंगोत्री हाईवे का अस्तित्व खतरे में, भू-वैज्ञानिकों ने दी बड़ी चेतावनी

उत्तरकाशी में गंगोत्री हाईवे का अस्तित्व खतरे में है, यहां बड़ा भूस्खलन हो सकता है..पढ़िए पूरी रिपोर्ट

उत्तराखंड न्यूज: gangotri high way may face land slide says report
Image: gangotri high way may face land slide says report (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: उत्तराखंड में बारिश से तबाही की तस्वीरों के बीच एक चिंता बढ़ाने वाली खबर आई है। भू-वैज्ञानिकों की टीम ने गंगोत्री हाइवे पर बड़े भूस्खलन की आशंका जताई है। रिपोर्ट पर यकीन किया जाए तो जल्द ही ये क्षेत्र तबाह हो सकता है। वैज्ञानिकों की टीम अपनी रिपोर्ट जल्द ही डीएम उत्तरकाशी को देगी। हाल ही में भू-वैज्ञानिकों ने गंगोत्री से 35 किलोमीटर पहले पड़ने वाले सुक्की टॉप का निरीक्षण किया था, ये भूस्खलन जोन है। निरीक्षण के बाद भू-वैज्ञानिकों ने जो बताया, उसे सुन आप भी परेशान हो जाएंगे। भू-वैज्ञानिक कह रहे हैं कि सुक्की टॉप के पास बड़ा भूस्खलन हो सकता है। हालांकि इससे बचाव का तरीका भी है। सुक्की टॉप को बचाना है तो भूस्खलन जोन का उपचार 700 मीटर नीचे स्थित भगीरथी के तट से करना होगा, तभी जाकर सुक्की टॉप बच सकेगा। आपदा के लिहाज से उत्तरकाशी जिला बेहद संवेदनशील है। यहां सुक्की के पास पिछले कई साल से भूस्खलन हो रहा है। भूस्खलन की शुरुआत भागीरथी नदी के किनारे से शुरू हुई, और अब इसकी जद में सुक्की टॉप है, जो कि भगीरथी से 700 मीटर की ऊंचाई पर है। वैज्ञानिकों ने इस बारे में और भी खास बातें बताई हैं.. आगे जानिए

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सर्दी के मौसम में सुक्की टॉप में बना व्यू प्वाइंट भी भूस्खलन का शिकार हो गया था। क्षेत्र के पैदल रास्ते भी भूस्खलन की भेंट चढ़ गए हैं। लगातार हो रहे भूस्खलन से केवल गंगोत्री हाईवे ही नहीं सुक्की टॉप का बाजार भी खतरे में है। हाल ही में डीएम डॉ. आशीष चौहान ने भू वैज्ञानिकों को सुक्की टॉप का निरीक्षण करने के लिए पत्र लिखे थे। बुधवार को भू-वैज्ञानिकों की टीम ने सुक्की टॉप और उसके आसपास के क्षेत्र का जायजा लिया। वैज्ञानिकों ने कहा कि भूस्खलन प्रभावित हिस्से से छेड़छाड़ खतरे को बुलावा देना है। इसके गंभीर नतीजे सामने आ सकते हैं। भूस्खलन का उपचार भगीरथी नदी के तट से ही किया जाना चाहिए। भू-वैज्ञानिकों के दल में भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान और आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के वैज्ञानिक शामिल थे। भू-वैज्ञानिक जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपेंगे।