उत्तराखंड vasudhara in uttarakhand badrinath

देवभूमि का पवित्र झरना, जिसकी बूंदें पापियों के शरीर पर नहीं पड़ती..इस बार यहां 3 हजार लोग पहुंचे

बदरीनाथ आने वाले श्रद्धालु वसुधारा के दर्शन करने भी जा रहे हैं। ये झरना अद्भुत गुणों को समेटे हुए है...देखिए भव्य तस्वीरें

उत्तराखंड न्यूज: vasudhara in uttarakhand badrinath
Image: vasudhara in uttarakhand badrinath (Source: Social Media)

: उत्तराखंड का चमोली जिला अपनी नैसर्गिक खूबसूरती के मशहूर है। यहां के धार्मिक स्थल पूरी दुनिया में विख्यात हैं। बदरीनाथ धाम की यात्रा के लिए यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैँ। यहां वो धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ प्रकृति के नजारों का भी लुत्फ उठा रहे हैं। चमोली जिले में ही स्थित है वसुधारा जलप्रपात, यहां आकर पर्यटकों को शांति और सुकून मिलता है। रोजमर्रा की आपाधापी से दूर पर्यटक यहां शांति के कुछ पल बिताने पहुंच रहे हैं। जो पर्यटक बदरीनाथ आते हैं, वो वसुधारा के दर्शन करना नहीं भूलते। वसुधारा जलप्रपात का धार्मिक महत्व है। वसुधारा के बारे में कहा जाता है कि इसका जल पापात्माओं पर नहीं गिरता, केवल पुण्यात्माओं पर ही वसुधारा का जल गिरता है। स्कंद पुराण में भी वसुधारा की महिमा का वर्णन है। कहते हैं कि वसुधारा की बूंदे शरीर पर पड़ने से हर तरह के विकार मिट जाते हैं। मान्यता है कि यहां अष्ट वसु ने कठोर तप किया था, इसीलिए झरने का नाम वसुधारा पड़ा। इस मनोहर झरने को मूल से शिखर तक एक बार में नहीं देखा जा सकता। ये वही जगह है जहां पांडव भाईयों में से एक सहदेव ने स्वर्ग जाते वक्त प्राण त्यागे थे। अर्जुन ने भी अपना गांडीव धनुष यहीं छोड़ा था।

  • बदरीनाथ धाम से 8 किलोमीटर दूर

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    वसुधारा बदरीनाथ धाम से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद से अब तक 3 हजार से ज्यादा पर्यटक वसुधारा का दीदार कर चुके हैं। इन यात्रियों में देशी-विदेशी श्रद्धालु शामिल हैं।

  • इस देखना ही अद्भुत अहसास है

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    समुद्रतल से 12 हजार फीट की ऊंचाई से गिरने वाले वसुधारा झरने को सामने देखना सचमुच अद्भुत अहसास है, जिसे वो ही समझ सकता है, जिसने वसुधारा जलप्रपात देखा हो।

  • शांति और सुकून का अहसास

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    वसुधारा पहुंचने के लिए पर्यटकों को माणा गांव तक मोटर मार्ग से जाना होता है, माणा गांव देश का आखिरी गांव है, जो कि बदरीनाथ से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से शुरू होता है वसुधारा का पैदल ट्रैक, वैसे ये बेहद थका देने वाला सफर है, लेकिन वसुधारा पहुंचकर यात्रियों को जिस शांति और सुकून का अहसास होता है, वो हर थकान को पल भर में मिटा देता है।

  • इस बार आ रहे हैं रिकॉर्ड श्रद्धालु

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    इसी शांति और अलौकिक अहसास की तलाश में पर्यटक वसुधारा पहुंच रहे हैं। वसुधारा का ट्रैक माणा गांव से शुरू होता है। जो यात्री पैदल नहीं चल सकते उनके लिए यहां कंडी और घोड़ा-खच्चर की सुविधा भी उपलब्ध है।