उत्तराखंड neem karoli dham story uttarakhand

देवभूमि का वो धाम, जहां फेसबुक-गूगल के मालिकों ने भी झुकाया सिर..देखिए दुर्लभ वीडियो

बाबा नीम करौली को चमत्कारों का धाम क्यों कहते हैं...ये कहानी आपके रौंगटे खड़े कर देगी..साथ ही दुर्लभ वीडियो भी देखिए

उत्तराखंड टूरिज्म: neem karoli dham story uttarakhand
Image: neem karoli dham story uttarakhand (Source: Social Media)

: जहां आस्था हो, वहां ना भाषा मायने रखती है और ना ही सरहदें...उत्तराखंड में स्थित कैंची धाम भी ऐसा ही धाम है, जिसके चमत्कार मानने वाले भक्त पूरी दुनिया में मौजूद हैं। कैंची धाम बाबा नीम करौली के आश्रम के तौर पर मशहूर है। बाबा नीम करौली के चमत्कार की कहानियां सुन आज भी सिर श्रद्धा से झुक जाता है। यहां हम उनसे जुड़ी एक ऐसी ही कहानी आपको बताने जा रहे हैं। कहते हैं कि सालों पहले एक युवा योगी लक्ष्मणदास हाथ में चिमटा और कमंडल लिए फर्रुखाबाद से टूंडला जा रही बस में चढ़ गए। वो फर्स्ट क्लास डिब्बे में थे, इसी बीच एक एंग्लो इंडियन टिकट निरीक्षक आया और उन्हें भला-बुरा कहने लगा। पर योगी महाराज चुप रहे। थोड़ी देर बाद गाड़ी नीम करौली नाम के छोटे से स्टेशन पर रुकी। टिकट निरीक्षक ने योगी को अपमानित कर वहीं उतार दिया। योगी महाराज उतर गए। उन्होंने वहीं अपना चिमटा गाड़ा और शांत भाव से बैठ गए। तभी कुछ ऐसा हुआ कि हर कोई हैरान रह गया। ट्रेन स्टेशन से आगे ही नहीं बढ़ पाई। आगे पढ़िए पूरी कहानी

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कहा जाता है कि इसके बाद लोग टिकट निरीक्षक को भला-बुरा कहने लगे। उसे धमकाया और कहा कि बाबा को ट्रेन में बैठा लो, तब ही ट्रेन चलेगी। बाबा से अनुरोध किया गया कि गाड़ी में बैठ जाओ। बाबा शांत भाव से ट्रेन में बैठे और फिर ट्रेन चल पड़ी। ये योगी महाराज ही आज बाबा नीम करौली के नाम से जाने जाते हैं। बाद में बाबा नीम करौली ने उत्तराखंड के नैनीताल में अपना आश्रम बनाया। ये धाम आज कैंची धाम के रूप में जाना जाता है। भक्त बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान का अवतार मानते हैं। अपने जीवनकाल में उन्होंने देश भर में 12 प्रमुख मंदिर बनवाए। कहते हैं वो साल 1940 में उत्तराखंड प्रवास पर आए थे। तब से उनके चमत्कारों की कहानियां क्षेत्र में मशहूर हैं। भक्त तो यहां तक कहते हैं कि उन्होंने अपनी मृत्यु का समय भी खुद तय किया था। 10 सितंबर 1973 को उन्होंने देह त्याग किया।

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आज हम जिन्हें बाबा नीम करौली के रूप में जानते हैं उनका मूल नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था, 17 साल की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। वो बाबा नीम करौली ही हैं जिन्होंने फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स को सफलता की राह दिखाई। हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स भी बाबा नीम करौली की भक्त हैं। कहते हैं कैंची धाम में आज भी बाबा नीम करौली अदृश्य रूप में अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए हर दिन यहां हजारों भक्त पहुंचते हैं। जो लोग जीवन में हर तरफ से निराश हो चुके हों, उन्हें यहां आकर शांति मिलती है, साथ ही जीवन को नए उत्साह से जीने की प्रेरणा भी। यही वजह है कि कैंची धाम में हर दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। देखिए वीडियो

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