उत्तराखंड STORY OF MARTYER AMIT OF AGRA

शहादत को सलाम...जन्मदिन पर तिरंगे में लिपटा हुआ आया अमित, छोटे से भतीजे ने दी मुखाग्नि

शहीद जवान अमित जन्मदिन पर घर आने का वादा कर के गए थे, वो घर लौटे तो जरूर लेकिन तिरंगे में लिपटे हुए...निष्प्राण..

उत्तराखंड: STORY OF MARTYER AMIT OF AGRA
Image: STORY OF MARTYER AMIT OF AGRA (Source: Social Media)

: ‘उड़ जाती है नींद ये सोचकर...कि सरहद पे दी गयीं वो कुर्बानियां, मेरी नींद के लिए थीं’ ये पंक्तियां याद कर आज देश का हर वाशिंदा रो रहा है। देश के एक और जांबाज ने वतन की रक्षा करते हुए अपनी जान दे दी। आगरा के रहने वाले जांबाज अमित चतुर्वेदी जन्मदिन पर अपने घर लौटने वाले थे, लेकिन 4 दिन पहले ही दुनिया छोड़ गए। अमित चतुर्वेदी आगरा के रहने वाले थे, इस वक्त शहीद का परिवार जिस दुख और सदमे में है, उसका आप और हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। बेटा देश के काम आया इसका उन्हें गर्व तो है, लेकिन बेटे के बिना अलविदा कहे दुनिया छोड़ जाने का गम भी है। सब कुछ सामान्य रहता तो 3 जून को अमित का परिवार खुशियां मना रहा होता, इसी दिन अमित का जन्मदिन था। पर अमित ने जन्म लेने के साथ ही मातृभूमि पर मर मिटने के लिए भी यही दिन चुना था। तिरंगे में लिपटे जवान का पार्थिव शरीर जब घर पहुंचा तो वहां कोहराम मच गया। परिजन रो-रोकर बेसुध हो गए। एक साल के जिस नन्हे भतीजे को अमित ने बड़ा होते देखना था, उसे गोद में खिलाना था, उसी मासूम ने अपने शहीद चाचा के शरीर को मुखाग्नि दी। ये देख वहां मौजूद हर शख्स की आंखें भर आईं।

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क्षेत्र के सांसद, विधायक और आलाअधिकारी भी शहीद अमित को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शहीद को नमन किया। उन्होंने कहा कि देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवान अमित को देश हमेशा याद रखेगा। अमित के पिता रामवीर चतुर्वेदी रिटायर सूबेदार हैं, उन्हें अब तक यकिन नहीं हो रहा कि उनका लाडला दुनिया में नहीं रहा। वो कहते हैं कि 31 मई की रात उनकी अमित से बात हुई थी। वो कह रहा था कि जन्मदिन पर गांव आएगा, इसके लिए रिजर्वेशन भी कराया है। बेटा जन्मदिन पर गांव आया तो जरूर, लेकिन तिरंगे में लिपटा हुआ..निष्प्राण...भला ऐसे भी कोई आता है, उसने बूढ़े पिता के बारे में भी नहीं सोचा...ये कहते कहते वो रो दिए। बता दें कि 25 साल के अमित चतुर्वेदी सेना में सिपाही थे, इन दिनों उनकी तैनाती असम में थी। 31 मई की शाम चले सर्च ऑपरेशन के दौरान मैरानी जोराट में उन्हें गोली लग गई थी, इलाज के दौरान वो शहीद हो गए। 3 जून को पैतृक गांव में शहीद को अंतिम विदाई दी गई।