उत्तराखंड रुद्रप्रयागglass bridge in kedarnath uttarakhand

केदारनाथ में चीन की तर्ज पर बनेगा शीशे का पुल..देश के अनोखे अजूबे के लिए तैयार रहिए

कभी केदारनाथ के अहम पड़ाव रहे इस क्षेत्र में जल्द ही कांच का पुल बनाया जाएगा, इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है...

उत्तराखंड: glass bridge in kedarnath uttarakhand
Image: glass bridge in kedarnath uttarakhand (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: ये साल 2017 की बात होगी, जब चीन के हेबेई प्रांत के शिजियाझुआंग शहर में बना कांच का पुल पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था। जमीन से 218 मीटर ऊपर बने इस पारदर्शी पुल पर जब पर्यटक गुजरते थे तो डर के मारे उनकी जान हलक में अटक जाती थी...अब आते हैं आज की खबर पर, दरअसल ऐसा ही एक पुल अपने उत्तराखंड में बनने जा रहा है, यानि अब जो पर्यटक उत्तराखंड आएंगे उनका रोमांच दोगुना करने के लिए प्रदेश सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। ये पुल कहां बनेगा ये भी आपको बता देते हैं। कांच का ये पारदर्शी पुल केदारनाथ धाम के रामबाड़ा में बनाया जाएगा, जो कि केदारनाथ का मुख्य पड़ाव है। केदारनाथ आपदा के बाद से रामबाड़ा वीरान पड़ा है, लोग यहां आने से डरते हैं। अब प्रशासन इस क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर दोबारा स्थापित करने की कोशिश में जुटा है। इसके लिए चीन की तर्ज पर मंदाकिनी नदी के ऊपर पारदर्शी पुल बनाया जाएगा। आगे पढ़िए इसकी खासियत

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जिला प्रशासन पारदर्शी पुल की कार्ययोजना बना रहा है। इस पहल का श्रेय जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को जाता है, जो कि केदारधाम क्षेत्र के कायाकल्प में जुटे हैं। उन्होंने ही चीन में बने कांच के पुल की तर्ज पर मंदाकिनी नदी के ऊफर कांच या धातु का पारदर्शी पुल बनाने का खाका तैयार किया है। ये पुल 100 मीटर स्पान वाला होगा, इसके दोनों तरफ उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य को दिखाती पेंटिंग्स होंगी। इस पुल के जरिए देश-विदेश के पर्यटक रामबाड़ा के पुराने स्वरूप को जान सकेंगे। आपदा से पहले ये क्षेत्र श्रद्धालुओं से गुलजार रहा करता था, लेकिन आपदा की विभीषिका झेलने के बाद से ये क्षेत्र उजाड़ हो गया है। अब इस क्षेत्र की पुरानी यादों को सहेजने की कोशिश की जा रही है। यहां बनने वाला ग्लास का पुल करीब 8 करोड़ की लागत से बनेगा।

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इसके लिए सीएसआर से धनराशी जुटाई जाएगी। आपको बता दें कि रामबाड़ा गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर स्थित है, ये केदारनाथ यात्रा का अहम पड़ाव हुआ करता था। यहां दुकानें थीं, ढाबे थे रात के वक्त श्रद्धालु यहां रुकते थे, खाना खाते थे, पर साल 2013 की आपदा का बाद सब कुछ बदल गया। यहां अब भी आपदा की तबाही के मंजर साफ देखे जा सकते हैं। डीएम मंगेश घिल्डियाल इस क्षेत्र के लिए जो करने जा रहे हैं वो वाकई काबिले तारीफ है। दरअसल इस क्षेत्र को दया की नहीं स्वावलंबन की जरूरत है, डीएम मंगेश ने इसके लिए कारगर कदम उठाया है, उम्मीद है एक बार फिर रामबाड़ा जगमगाने लगेगा। यहां की पुरानी रौनक लौट आएगी। कुल मिलाकर कहें तो ये एक शानदार खबर है। देश दुनिया के सैलानियों के लिए ये एक बड़ा तोहफा साबित हो सकता है।