उत्तराखंड story of rakesh singh of rudraprayag

रुद्रप्रयाग के राका भाई...शहर छोड़कर गांव लौटे..अब खेती से हो रही है लाखों में कमाई

रुद्रप्रयाग के राका भाई शहर में नौकरी करते थे...शहर में मन नहीं लगा तो गांव चले आए और खेती करने लगे। पत्नी ने भी साथ दिया और अब वो लाखों मे कमाई कर रहे हैं।

उत्तराखंड: story of rakesh singh of rudraprayag
Image: story of rakesh singh of rudraprayag (Source: Social Media)

: अब खेती-किसानी में कुछ नहीं रखा, खेती घाटे का सौदा बन गई है, ये लाइनें आपने अक्सर सुनी होंगी और काफी हद तक इनसे इत्तेफाक भी रखते होंगे। पर जिस खेती-किसानी को छोड़ लोग शहर में भटक रहे हैं, उसी खेती को अपनाकर रुद्रप्रयाग के एक युवा ने अपनी तकदीर बदल दी है। ये युवक अपने खेतों में जैविक सब्जियां, फूल और मसाले उगाकर लाखों रुपए कमा रहा है। इस किसान युवक का नाम है राकेश सिंह बिष्ट, जो कि जयमंडी गांव में रहते हैं। मिट्टी से सोना कैसे उगाना है, ये हुनर राकेश सिंह उर्फ राका भाई बखूबी जानते हैं। राका भाई के खेती से जुड़ने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। राका भाई के पिता सेना में थे, ऐसे में सेना से उनका जुड़ाव होना स्वाभाविक था। सेना में भर्ती होने के लिए वो धुमाकोट, उत्तरकाशी, रानीखेत समेत हर उस जगह गए, जहां सेना में भर्ती हो रही थी, पर राका भाई की किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था। कुल मिलाकर राका भाई भर्ती नहीं हो सके। एक वक्त के बाद उन्होंने भर्ती होने की उम्मीद ही छोड़ दी और काम की तलाश में मुंबई चले गए।
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  • शहर से छोड़ दी उम्मीदें

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    मुंबई में कुछ समय काम किया, फिर गुजरात गए, लेकिन मन तो पहाड़ में ही लगा हुआ था। गुजरात में राकेश ने देखा कि वहां के ग्रामीण आत्मनिर्भर हैं, वो पहाड़ियों की तरह अपने घर-गांव छोड़कर नहीं जाते, बल्कि गांव में ही खेती कर रोजगार पैदा कर लेते हैं। ये बात राका भाई को जंच गई। उनके पास जमीन तो थी ही, साल 2013 में वो गांव लौट आए और पिता के सामने खेती करने की इच्छा जाहिर की। और किसी के पिता होते तो शायद अपने बेटे को किसान बनता कभी ना देखना चाहते, गालियां पड़ती सो अलग...पर राका भाई के पिताजी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने बेटे को प्रोत्साहित किया, पत्नी सरिता ने भी पति का साथ देने की ठानी।

  • पिता और पत्नी ने हौसला दिया

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    पिता के प्रोत्साहन और पत्नी के सहयोग से राका भाई ने बंजर जमीन को उपजाऊ जमीन में बदल दिया। आज उनके खेत सोना उगल रहे हैं और वो हर साल लाखों की आमदनी कर रहे हैं। खेती के साथ-साथ राकेश मत्स्य पालन भी करते हैं। वो खेतों में पालक, लहसुन, अदरक, प्याज और टमाटर समेत दूसरी सीजनल सब्जियां उगाते हैं। हर सब्जी ऑर्गेनिक होती है और इनके उत्पादन में जैविक खाद इस्तेमाल होती है। खेतों के लिए राका भाई खुद कीटनाशक तैयार करते हैं और पता है ये कीटनाशक किससे बनता है, ये बनता है गौमूत्र से...भई बेकार समझी जाने वाली चीजों का फायदा कैसे उठाना है ये कोई राका भाई से सीखे। उनकी उगाई सब्जियां और मसाले हाथों हाथ बिक जाते हैं।

  • आइडिया...जो बदल दे आपकी दुनिया

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    राकेश बिष्ट मुर्गीपालन के साथ ही फूलों की खेती भी कर रहे हैं। खेती हो, पशुपालन हो या फिर मत्स्य पालन, ऐसा कोई फील्ड नहीं जिसमें राकेश ने महारत हासिल ना की हो। पहाड़ के इस युवा ने साबित कर दिया है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। मन में इच्छाशक्ति हो तो बंजर जमीन में भी सोना उगाया जा सकता है। आज राकेश उन हजारों युवाओं के लिए आदर्श बन गए हैं, जो कि रोजगार के लिए अपने घर-गांव छोड़, शहर चले जाते हैं। राकेश कहते हैं कि सरकार को स्वरोजगार संबंधी योजनाओं को जमीनी धरातल पर उतारने की जरूरत है।

  • लक्ष्य पर फोकस

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    अगर पहाड़ के युवा सही उद्देश्य के साथ मेहनत करें तो उन्हें सफलता जरूर मिलेगी। फिर उन्हें गांव छोड़कर शहरों की तरफ भागने की जरूरत नहीं रहेगी।

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