उत्तराखंड देहरादूनuttarakhand mother and son in one class

जज्बे को सलाम..उत्तराखंड में मां-बेटे ने लिया एक ही क्लास में एडमिशन

कहते हैं सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इस बात को साबित कर दिया है रेखा ने। उनकी पढ़ाई अधूरी छूट गई लेकिन पति ने हौसला दिया तो ये काम कर रही हैं।

उत्तराखंड: uttarakhand mother and son in one class
Image: uttarakhand mother and son in one class (Source: Social Media)

देहरादून: मंजिलें पाने का असल हकदार वो ही है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख हैं तो क्या हुआ ? उसल उड़ान तो हौसलों में होती है। उत्तराखंड के ग्रामीण परिवेश की एक मां ने इस बात को साबित कर दिखाया। जब उनकी शादी हुई, तो पढ़ाई छूट गई। फिर बेटा हुआ...उसे पाला-पोसा लेकिन साथ में अपने पढ़ाई के सपने को मरने नहीं दिया। आज उसी जज्बे का परिणाम है कि मां ने अपने बेटे के साथ एक ही क्लास में एडमिशन लिया है। देहरादून जिले के त्यूनी क्षेत्र के सरनाड पानी गांव की रहने वाली 35 साल की रेखा ने एक मिसाल कायम की है। इस फैसले के बाद रेखा उन महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं, जो हालात के आगे मजबूर होकर अपनी पढ़ाई छोड़ देती हैं। 35 साल की रेखा अपने पति के साथ मेहनत मजदूरी का काम करती हैं और अपने परिवार का पेट पालती हैं। इसी साल अप्रैल महीने में नया शैक्षिक सत्र शुरू हुआ , तो रेखा ने भी अपनी दिल की इच्छा को पूरा कर दिया।

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इस काम में साथ देने के लिए हम रेखा के पति को भी सलाम करते हैं। उन्होंने इस काम के लिए अपनी पत्नी को अनुमति दे दी और इसके बाद रेखा ने राजकीय इंटर कॉलेज में कक्षा 9 में प्रवेश ले लिया। खास बात ये है कि रेखा का छोटा बेटा संदीप भी इसी स्कूल में कक्षा 9वीं में उनके साथ पढ़ रहा है। उसी स्कूल में रेखा की बेटी प्रीति दसवीं की छात्रा हैं। स्कूल में अध्यापक नैन सिंह पंवार ने बताया कि रेखा ने गृह विज्ञान की जगह गणित विषय में प्रवेश लिया है। गजब का हौसला है इस परिवार का...मां ने अपने बेटे के साथ उसी की कक्षा में एडमिशन लिया। इसे सुनने और देखने वाले भी हैरान हैं और साथ ही इस मां को प्रेरणास्रोत मान रहे हैं। राज्य समीक्षा की टीम की तरफ से रेखा और उनके परिवार को आगामी उज्जवल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।