नैनीताल: पहाड़ में संसाधनों की कमी नहीं है, जरूरत है तो बस उनका बेहतर इस्तेमाल करने की...इन दिनों उत्तराखंड में पिरूल से रोजगार के मौके तलाश किए जा रहे हैं और गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों को इस प्रयास में सफलता भी मिली है। अब पहाड़ में पिरूल से कैरी बैग, फोल्डर, फाइल, लिफाफे और डिस्प्ले बोर्ड जैसी चीजें बनाई जाएंगी, अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों ने इसकी तरकीब खोज निकाली है। जीबी पंत पर्यावरण संस्थान ने कोसी में पाइन पत्ती प्रसंस्करण इकाई बनाई है। जिसमें चीड़ की पत्तियों को इकट्ठा कर इससे कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जाएंगे। पाइन पत्ती प्रसंस्करण इकाई में सबसे पहले पिरूल को रैग चैपर में डालकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं। बाद में इसकी कुटाई करने के बाद इसे अलग-अलग प्रोसेस से गुजारा जाता है, तब तैयार होता है पिरूल से बना गत्ता, जिससे कई प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं। इन दिनों ग्रामीण इलाकों में पिरूल के गत्ते से बने शादी के कार्ड भी खूब पसंद किए जा रहे हैं, ये बेहद आकर्षक हैं यही वजह है कि इनकी डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा पिरूल के पत्तों की टोकरियां भी बन रही हैं।