उत्तराखंड story of sucheta sati biker girl from uttarakhand

मदर्स डे: मां ने दिया साथ..तो बाइक से दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर पहुंची पहाड़ की बेटी

उत्तराखंड की सुचेता सती ने विश्व की सबसे ऊंची सड़क खारदुंग ला दर्रा (पास) टॉप पर बाइक से पहुंचकर रिकॉर्ड बना दिया, अपनी इस सफलता का श्रेय वो अपनी मां को देती हैं।

उत्तराखंड: story of sucheta sati biker girl from uttarakhand
Image: story of sucheta sati biker girl from uttarakhand (Source: Social Media)

: बाइकिंग के क्षेत्र में आज भी पुरुषों का ही राज है, ऐसा इसलिए नहीं है कि महिलाएं बाइक नहीं चला सकती...दरअसल इसकी एक अहम वजह है वो रूढ़िवादी सोच, जिसे हम आज तक ढो रहे हैं कि बाइक चलाना औरतों का काम नहीं है। किसी परिवार में जब बेटी बाइक चलाने की इच्छा जाहिर करती है तो सबसे पहले परिजन ही लोकलाज का हवाला देकर उसके सपनों को कुचल देते हैं...देहरादून की बाइकर सुचेता सती को भी ऐसी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन जब उन्हें मां का साथ मिला तो सुचेता की उम्मीदों ने उड़ान भरनी शुरू कर दी...मां से मिली हिम्मत और हौसले के दम पर बाइकिंग का शौक रखने वाली उत्तराखंड की बेटी सुचेता ने विश्व की सबसे ऊंची सड़क खारदुंग ला दर्रा (पास) टॉप पर बाइक से पहुंचकर रिकॉर्ड बना दिया। 20 साल की सुचेता एक बाइकर हैं, बाइक चलाना उनके लिए शौक नहीं बल्कि जुनून है...सुचेता की मां रीना सती यूपीसीएल में जॉब करती हैं। आगे जानिए पूरी कहानी...

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सुचेता कहती हैं कि उनकी मां की बदौलत ही वो बाइकर बन पाई हैं, सुचेता उस वक्त 14 साल की थी जब उन्होंने बाइक चलाना शुरू किया था, 18 साल की उम्र तक उन्होंने बाइक से एक ट्रैक पूरा भी कर लिया। ट्रैक पर निकलने से पहले उन्होंने घरवालों को इस बारे में नहीं बताया था, क्योंकि अगर ऐसा करतीं तो घरवाले विरोध करते...पर मां का पूरा सपोर्ट था तो सुचेता निकल पड़ीं कामयाबी के सफर पर। सुचेता वंर्डर ऑन वील्स टीम के साथ खारदुंग ला दर्रा (पास) टॉप पर पहुंची और बन गईं उत्तराखंड की पहली बाइकर गर्ल। यही नहीं सुचेता बाइक से खारदुंग ला टॉप पर जाने वाली सबसे कम उम्र की बाइकर गर्ल भी हैं...अपनी हर सफलता के लिए सुचेता अपनी मां रीना सती को क्रेडिट देती हैं। वो कहती हैं कि मेरी मां ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त है, वो मेरे सपनों और सफर में आने वाली चुनौतियों को अच्छी तरह समझती हैं। मैं उन खुशनसीब बेटियों में से एक हूं, जिन्हें मां के रूप में बेहतर साथी और मददगार मिला। अगर उन्होंने मेरा साथ नहीं दिया होता तो शायद में जीवन में आगे नहीं बढ़ पाती...मदर्स डे पर सलाम है रीना सती जैसी माताओं को, जो कि रुढ़िवादी परंपराओं...सोच को तोड़कर अपनी बेटियों के सपनों को आकार दे रही हैं, उन्हें अनंत आकाश में उड़ने का मौका दे रही हैं।