उत्तराखंड रुद्रप्रयागkedarnath apda ghotala

शर्मनाक: भ्रष्टाचारियों ने बाबा केदार को भी नहीं बक्शा..आपदा राहत के नाम पर करोड़ों का घोटाला।

ये रिपोर्ट हर उस व्यक्ति और हर उस संवेदना पर गहरी चोट करती है, जिसने केदार आपदा का वो मंजर देखा था।

उत्तराखंड: kedarnath apda ghotala
Image: kedarnath apda ghotala (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि शायद अब पहाड़ के लोगों को अपने हक के लिए नहीं तरसना पड़ेगा...पर्वतीय इलाकों का विकास होगा, शिक्षा-रोजगार के अवसर बढ़ेगे, लेकिन घोटालेबाजों ने देवभूमि की साख पर बट्टा लगा दिया है। और तो और भ्रष्ट अधिकारियों और राजनेताओं ने तो बाबा केदार तक को नहीं बक्शा....केदारनाथ आपदा के वक्त जो धनराशि प्रभावित क्षेत्रों के विकास और लोगों के मुआवजे के लिए मिली थी, वो केंद्र से चली तो जरूर, लेकिन पहाड़ों तक पहुंची नहीं। केदारनाथ आपदा को आए 6 साल हो चुके हैं, लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी क्षेत्र में पुनर्निर्माण नहीं हो पाया, होता भी कैसे जो बजट केंद्र की तरफ से रिलीज हुआ था, वो तो केदारनाथ पहुंचने से पहले ही ठिकाने लगा दिया गया। अब उत्तराखंड में 2013 में आई भीषण आपदा में हुए घोटाले की शिकायत केन्द्रीय लोकपाल तक पहुंच गई है। आगे जानिए मसूरी के रहने वाले एक वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट ने लोकपाल को की शिकायत में आपदा राहत राशि में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है और पूरे मामले की जांच की मांग की है। आगे जानिए पूरा घोटाला कैसे हुआ।

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शिकायत के मुताबिक जो धनराशि केन्द्र से राज्य सरकार को मिली है उसमें करीब 1509 करोड़ का अंतर आ रहा है, इससे गड़बड़ी के संकेत मिलते हैं। एक बार फिर इस मामले में राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेन्द्र भसीन ने कहा कि तत्कालीन सरकार ने घोटालों को अंजाम दिया है। कैग की रिपोर्ट में भी इस बात का भी खुलासा हुआ। वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी रतूड़ी ने कहा कि घोटाले की जिम्मेदार बीजेपी सरकार है। शिकायतकर्ता रमेश कुमार जायसवाल ने कहा कि आपदा प्रभावितों के लिए केंद्र सरकार ने 9171 करोड़ रुपये राज्य सरकार को दिए थे। इसके बाद एक और आरटीआई के जवाब में उत्तराखंड सरकार ने कहा कि उसे मात्र 5727 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं। इसके साथ ही ये भी बताया कि केंद्र ने 1934 करोड़ रुपये सीधे राज्य के विभिन्न संस्थानों को दिए थे। शिकायतकर्ता का कहना है कि केंद्र बिना राज्य की अनुमति के किसी भी संस्थान को सीधे धनराशि नहीं भेजता।

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बता दें कि जायसवाल ने पहले भी आपदा घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री तक को शिकायत की थी। 2017 में वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गए थे, तब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को हाईकोर्ट ले जाने को कहा था। अब एडवोकेट रमेश कुमार जायसवाल ने केन्द्रीय लोकपाल को शिकायती पत्र भेजा है, उन्होंने आरोप लगाया कि राहत राशि में करीब 5 से 6 हजार करोड़ का घोटाला हुआ। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा 2013 की आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को नियमानुसार दिए जाने वाले डेढ़ लाख रूपए की राहत राशि भी नहीं दी गई है। वो इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय में भी शिकायत भेज चुके हैं। जायसवाल ने साफ कहा कि आपदा राहत राशि के घोटाले में उत्तराखंड के टॉप लेवल के राजनेता और केन्द्र के कुछ बड़े अधिकारी शामिल हैं। ये मामला एक बार फिर तूल पकड़ चुका है, अब देखना होगा की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली बीजेपी इस मामले में क्या एक्शन लेती है।