उत्तराखंड देहरादूनPolice taking action against illegal settlements in Dehradun

देहरादून में घुसपैठ! खाली करवाई जा रही हैं 500 से ज्यादा झुग्गियां

राजधानी देहरादून में घुसपैठियों ने बीते 1 साल में 500 से ज्यादा झुग्गियां बना ली हैं। ये लोग कौन हैं कहां से आए हैं इस बारे में प्रशासन के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है।

उत्तराखंड: Police taking action against illegal settlements in Dehradun
Image: Police taking action against illegal settlements in Dehradun (Source: Social Media)

देहरादून: क्या उत्तराखंड में बाहरी लोगों की घुसपैठ बढ़ रही है? क्या इस बात की भनक किसी को नहीं थी ? राजधानी के पटेल नगर थाना क्षेत्र के बंजारावाला चांदचक इलाके में अवैध रूप से बसे 450 से ज्यादा लोगों पर प्रशासन ने अब सख्ती दिखाई है। प्रशासन की ओर से इन अवैध बस्तियों को हटाने का काम शुरू किया गया है और अगले तीन-चार दिनों में पूरा इलाका खाली करवा लिया जाएगा। इस इलाके में पिछले एक साल के भीतर 5 सौ से ज्यादा झुग्गी झोपड़ियां बन गई हैं, इन झोपड़ियों में रहने वाले लोग कौन हैं, कहां से आए हैं? पुलिस अधिकारियों के मुताबिक सुमन अली नाम के एक शख्स ने अपने खेत को किराए पर देकर उसमें 400 से ज्यादा लोगों की बस्ती को बसाया था। मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस ने इलाके में पहुंचकर वहां बसे लोगों को नोटिस दिया। एसपी सिटी के नेतृत्व में जगह खाली करवाने की कार्रवाई शुरू हुई। डर इस बात का भी था कि कहीं ये बांग्लादेशी शरणार्थी या फिर रोहिंग्या मुसलमान तो नहीं ?

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थाना पटेल नगर के इंस्पेक्टर सूर्यभूषण नेगी ने मीडिया को बताया कि अगले तीन-चार दिनों में पूरी बस्ती को खाली करवाया जाएगा। उनके मुताबिक असम और बंगाल में इन्हें 100 रुपये रोजाना मेहनताना मिलता था। इसके बाद 400 रुपये के मेहनताने के लिए वो देहरादून आकर बस गए। झुग्गियां जिस किसान की जमीन पर बनी हैं, उसका नाम शमुन अली बताया जा रहा है। इन झोपड़ी वालों से किराया भी शमुन अली ही वसूलते हैं। झुग्गियों में रहने वाले लोग कूड़ा बीनने, कबाड़ इकट्ठा करने जैसे छोटे-मोटे काम करते हैं, लेकिन इनका पुलिस वैरिफिकेशन नहीं हुआ है। बिना पुलिस वैरिफिकेशन के लोगों को इस तरह पनाह देना सुरक्षा की दृष्टि से बेहद खतरनाक है। वो भी ऐसे वक्त में जब कि राजधानी देहरादून में देश की सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण संस्थान हैं। छोटे प्रदेश उत्तराखंड में हो रही ये घुसपैठ कभी भी बड़े खतरे का रूप ले सकती है। ऐसे में सख्त एक्शन लेने की जरूरत है।