उत्तराखंड Story of dakhtiyat village uttarkashi

उत्तराखंड के इस गांव में अनगिनत ‘ट्री मैन’, हवा-पानी के लिए खुद उगाया अपना जंगल

पर्यावरण संरक्षण कितना जरूरी है, ये जानना हो तो उत्तरकाशी के डख्टियाट गांव चले आईये, जहां ग्रामीणों ने बंजर जमीन पर जंगल उगा दिया है।

उत्तराखंड: Story of dakhtiyat village uttarkashi
Image: Story of dakhtiyat village uttarkashi (Source: Social Media)

: प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर उत्तराखंड के जंगल यहां की शान हैं। यहां के लोगों को पर्यावरण से प्रेम है...पेड़-पौधों को यहां घर के सदस्यों जैसा माना जाता है, यही वजह है कि यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी जंगल बचे हुए हैं। पर्यावरण संरक्षण को लेकर यहां के लोग किस हद तक जूनूनी हैं, ये जानना हो तो उत्तरकाशी के डख्टियाट गांव चले आईए, जहां ग्रामीणों ने बिना किसी बाहरी सहायता के बंजर जमीन पर जंगल उगा दिया है। ग्रामीण स्वच्छ हवा से लेकर पानी तक के लिए अपने गांव के जंगल पर निर्भर हैं, यही वजह है कि वो ना केवल पौधे उगाते हैं, बल्कि उनका संरक्षण भी करते हैं। यहां के ग्रामीणों के लिए उनका जंगल ही सब कुछ है। गांव की 55.54 हेक्टेयर इलाके में ये जंगल फैला हुआ है, जिसे ग्रामीणों ने अपने खून-पसीने से हरा-भरा बनाया है। राजस्व भूमि पर खड़ा ये जंगल गांव वालों की समृद्ध विरासत का हिस्सा बन चुका है।

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बड़कोट तहसील में पड़ने वाला डख्टियाट गांव जिला मुख्यालय से करीब सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सड़क से जुड़े इस गांव में पौधे रोपने की शुरुआत यहां के बुजुर्गों ने की थी। वो पर्यावरण संरक्षण के महत्व को बखूबी समझते थे, आने वाली पीढ़ियों ने भी अपने बुजुर्गों से ये सीखा और पौधों की सार-संभाल में योगदान देने लगे। मेहनत रंग लाई और धीरे-धीरे जंगल बढ़ता गया। साल 1980 से वन पंचायत के माध्यम से जंगल का संरक्षण किया जा रहा है। गांव के पास अब भी राजस्व विभाग की दस हेक्टेयर बंजर जमीन है, जिस पर पौधे लगाने का प्रस्ताव ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को भेजा है। ग्रामीण कहते हैं कि गांव के ऊपर बांज का जंगल होने की वजह से गांव में कभी पानी की किल्लत नहीं होती। ये गांव प्राकृतिक जल स्त्रोत के मामले में समृद्ध है। बांज के पेड़ों की जड़ों में पानी संचित रहता है, जिससे गांव में सालभर पानी की आपूर्ति होती है। गांव में रहने वाले दो सौ परिवार इन पेड़ों का संरक्षण करते हैं, जिससे उन्हें भी प्राकृतिक जल सोतों से भरपूर पानी मिल जाता है।