उत्तराखंड Army report on uttarakhandi youth

जय देवभूमि: भारतीय सेना में हर 100वां सैनिक उत्तराखंड से है..पढ़िए ये गौरवशाली खबर

ये खबर पढ़कर आपको गर्व होगा...देश की सेना में हर 100वां सैनिक उत्तराखंड से है।

उत्तराखंड: Army report on uttarakhandi youth
Image: Army report on uttarakhandi youth (Source: Social Media)

: 15 जनवरी का दिन हम सेना दिवस के रूप में मनाते हैं। ऐसे में आज के दिन ये रिपोर्ट पढ़कर आपको गर्व होगा। देवभूमि उत्तराखंड वीर सपूतों की जननी रही है। पहाड़ के बेटों ने देश सेवा को हमेशा खुद से ऊपर माना है, यही वजह है कि भारतीय सेना का हर सौंवा सैनिक पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से है। ये रिपोर्ट खुद गृह मंत्रालय की है, जो उत्तराखंडियों की वीरता का सबूत देती है। इस वक्त उत्तराखंड में 169519 पूर्व सैनिक हैं। इसके साथ ही 72 हजार से ज्यादा जवान सेना को अपनी सेवा दे रहे हैं। देशसेवा को लेकर यहां के युवाओं में किस हद तक जुनून है, इसका अंदाजा सेना भर्ती परेड में युवाओं की भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है। सेना को सैनिक देने के साथ ही अफसर देने के मामले में भी उत्तराखंड ने बादशाहत कायम रखी है। वर्तमान में देश के सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत भी उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले हैं। उत्तराखंड हर साल सेना को नौ हजार युवा सैनिक देने वाला राज्य है। सेना दिवस उन सैनिकों को नमन करने का दिन है, जो परिवार का सुख त्यागकर देश की सेवा के लिए सीमा पर डटे हैं।

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अंग्रेजों ने भी उत्तराखंड के सैनिकों की वीरता का लोहा माना है। यहां के सैनिकों की नेतृत्व क्षमता को देखते हुए अंग्रेजों ने यहां पर सैनिकों को प्रशिक्षण देने का फैसला किया था। इसके लिए 1922 में देहरादून में अकादमी की नींव रखी गई। प्रिंस ऑफ वेल्स राय मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) दून में खोला गया। इसके साथ ही 1932 में आईएमए की शुरुआत हुई। साल 1948 के कबायली हमले रहे हों या कारगिल युद्ध उत्तराखंड के वीरों ने हमेशा दुश्मनों को धूल चटा कर अपनी वीरता साबित की। सेना दिवस के मौके पर सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। सभी सेना मुख्यालयों में इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं। सेना दिवस लेफ्टिनेंट जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) केएम करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्होंने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश राज के समय के भारतीय सेना के अंतिम अंग्रेज शीर्ष कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर से यह पदभार ग्रहण किया था।