उत्तराखंड अल्मोड़ाLeopard attack on a kid in almora

पहाड़ में गुलदार का आतंक, पहले बच्ची और अब बच्चे को किया लहूलुहान..गांव में दहशत

पहाड़ में लोग किन किन चीजों से लड़ें ? ये सवाल इसलिए जरूरी है क्योंकि पहाड़ में एक गांव के लोग बुरी तरह से दहशत में जी रहे हैं।

उत्तराखंड: Leopard attack on a kid in almora
Image: Leopard attack on a kid in almora (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: पहाड़ के लोगों का आए दिन जंगली जानवरों से आमना-सामना हो रहा है। ये बात हर कोई जानता है। कभी बंदर आकर फसलों को चट कर जाते हैं, कभी जंगली सुअर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, कभी गुलदार और बाघ आम लोगों पर हमला करते हैं...ऐसे में करें तो क्या करें ? जिन्हें वोट दिया ..उनके लिए तो ये कोई परेशानी ही नहीं है। ऐसा भाग्य मिला है पहाड़ के बाशिंदों को ?
ताज़ा मामला अल्मोड़ा के ताड़ीखेत के बगूना और नागार्जुन गांव का है। इस गांव में गुलदार अब तक ना जाने कितने मवेशियों को अपना शिकार बना चुका है। वो तो छोड़िए अब गुलदार इंसानों के लिए भी बड़ी परेशानी साबित हो रहा है। कुछ दिन पहले गुलदार ने एक बच्ची को शिकार बनाने की कोशिश की थी और अब एक बच्चे को निशाना बनाया है।

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साफ जाहिर है कि नागार्जुन गांव में गुलदार अब इंसानों के लिए आफत बन गया है। गुलदार की दहशत गांव के लोगों में साफ देखने को मिल रही है। इस गांव में गुलदार के हमले की दूसरी घटना सामने आई है।
बताया जा रहा है कि इस गांव में आंगन में खेल रहे सात साल के बच्चे पर गुलदार ने हमला किया और लहूलुहान कर डाला। इस गांव के रहने वाले बालकृष्ण का सात साल का बेटा यश आंगन में खेल रहा था। इस बीच घात लगाकर बैठे एक गुलदार ने उस पर हमला कर दिया। ये नजारा देखकर आंगन में बैठे लोगों के होश उड़ गए।
लोगों ने शोर मचाया तो गुलदार बच्चे को उठाकर खेतों की तरफ ले गया। इसके बाद जब लोगों की भीड़ जुटी तो गुलदार उस बच्चे को वहीं छोड़कर चला गया।

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सात साल के यश को घायल हालत में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। बताया जा रहा है कि यश के माथे पर तीन टांके लगे हैं। उसके हाथ और पैर भी जख्मी है। डॉक्टर्स का कहना है बच्चे की हालत अब खतरे से बाहर है।
गांव वालों का कहना है कि गुलदार एक पखवाड़े के भीतर कई मवेशियों को तो अपना निवाला बना चुका है लेकिन अब बच्चों पर भी हमला बोलने लगा है। ग्रामीणों ने मांग की है पिंजरा लगा उन्हें गुलदार से निजात दिलाई जाए।
अब देखना है कि गांव वालों की मांग पर क्या काम होता है।