उत्तराखंड चमोलीnewborn dies as woman faces dilivry on road in uttarakhand

हाय रे उत्तराखंड...बेबस मां की ममता अस्पताल से लेकर सड़क तक रोयी ! नवजात ने दम तोड़ दिया

चमोली जिले के घाट ब्लाक के मोहन सिंह और उसकी पत्नी नंदा के नवजात शिशु की मृत्यु का जिम्मेदार कौन है ?

चमोली: newborn dies as woman faces dilivry on road in uttarakhand
Image: newborn dies as woman faces dilivry on road in uttarakhand (Source: Social Media)

चमोली: देवभूमि में महापाप हुआ है। क्या उत्तराखंड में इंसानियत ख़त्म हो गयी है ? 30 आदमियों से भरी हुई बस में क्या एक भी "इंसान" नहीं था ? क्या उत्तराखंड में इंसानी जान की कोई कीमत नहीं ? ये बात बीते मंगलवार की है... 4 दिसम्बर को चमोली जिले के घाट ब्लाक के मोहन सिंह अपनी 8 महीने की गर्भवती पत्नी नंदीदेवी को गोपेश्वर चिकित्सालय ले गये। इसके बाद डॉक्टरों ने नंदा का अल्ट्रासाउंड किया और पूरे दिन बैठा कर रखा। कई प्रकार की जरूरी जांचे भी की, और अस्पताल ने पूरे दिन मां-बाप को सही स्थिति नहीं बताई। अचानक शाम को 4 बजे के बाद कहा गया कि सामान्य डिलीवरी होना संभव नहीं है... कारण ये बताया गया कि नवजात दिल बहुत कम धड़क रहा है, हायर सेंटर जाना होगा।

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मोहन सिंह का कहना है कि अस्पताल से एम्बुलेंस मांगी तो उनके द्वारा ये सुविधा प्रदान नहीं की गयी... जिसके बाद अगले दिन यानी 5 दिसम्बर को मोहन ने 108 को कॉल किया पर उन्हें गाडी नहीं होने की बात कही गयी। मोहन सिंह को अपनी पत्नी नंदी देवी को लोकल-बस से श्रीनगर के बेस ले जाने को मजबूर होना पड़ा। मोहन अपने घर से बेस अस्पताल श्रीनगर के लिए आ रहे थे कि रुद्रप्रयाग से 4 किलोमीटर पहले ही नंदा को प्रसव पीड़ा होने लगी। इस दौरान मोहन नंदा को ढांढस बंधाता रहा लेकिन ज्यादा दर्द की वजह से नंदा जोर-जोर से चिल्लाने लगी। चालक ने बस रोक दी। परिचालक ने दोनों को बस से उतर जाने को कह दिया। इसके बाद चालक और परिचालक दोनों उनसे किराये के लिए बदतमीजी करने लगे। बस में बैठी हुई बाकि सवारियां चुपचाप तमाशबीन बनी ये मंजर देखती रही।

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इसके बाद मोहन और नन्दा को इसी हालत में बस से नीचे उतरना पड़ा। इसके बाद मोहन सिंह सड़क पर आती-जाती गाड़ियों के सामने मदद के लिए चिल्लाते रहे पर कोई भी नहीं रुका। मोहन सिंह ने एक बार फिर से 108 को फोन किया, अब कहा गया कि एम्बुलेंस आने में वक्त लगेगा। नंदा सड़क किनारे निढाल होकर पड़ी रही, उसे तेज रक्तस्राव होने लगा और कुछ देर में नवजात पैदा हो गया। शायद नवजात को लगा होगा कि वो धरती पर नहीं नरक में पैदा हुआ है... शायद उसे लगा कि वो ऐसे हैवानों के बीच है जिन्हें इंसानी जान की कोई कीमत नहीं। वो मासूम ये हैवानियत नहीं सह पाया। उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया... बाप ने रुंधे हुए गले और कांपते हाथों से वहीं मृत नवजात को दफना दिया। देवभूमि में इस बार हैवान जीत गया। आप ही बताइए मोहन सिंह और उसकी पत्नी नंदा के नवजात शिशु की मृत्यु का जिम्मेदार कौन है ?