उत्तराखंड CNG and PNG service in uttarakhand

देहरादून में PNG से पकेगा खाना, CNG से चलेंगी गाड़ियां...17 लाख परिवारों को सौगात

आखिरकार देहरादून, हरिद्वार को एक शानदार सौगात मिल गई है। पीएम मोदी ने एक बेहतरीन योजना का शुभारंभ कर दिया है।

उत्तराखंड न्यूज: CNG and PNG service in uttarakhand
Image: CNG and PNG service in uttarakhand (Source: Social Media)

: आखिरकार उस योजना का भी शुभारंभ हो गया है, जिसका इंतजार देहरादून और हरिद्वार की जनता को काफी वक्त से था। एक साल के भीतर देहरादून में पीएनजी से घरों में खाना पकने लगेगा। साथ ही लोग सीएनजी के ज़रिए भी गाड़ियां चला सकेंगे। इसका सीधा फायदा देहरादून की 17 लाख से ज्यादा आबादी को होगा। सिर्फ देहरादून नहीं बल्कि ऋषिकेश, विकासनगर,डोईवाला, चकराता, कालसी, त्यूणी के लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा। पीएम मोदी ने इस योजना का शुभारंभ कर दिया है। अब आपको ये भी बता देते हैं कि आखिर आपको किस तरह से इसका फायदा मिलने वाला है।
पाइपों के सहारे से PNG घरों में पहुंचेगी और हर कनेक्शन के लिए एक मीटर भी लगाया जाएगा। मीटर लगने से खपत का हिसाब लगाया जा सकेगा।

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पीएनजी लगने के बाद लोगों को LPG सिलेंडर के लिए लाइन में लगने या फिर गैस का लंबा इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा।
घरेलू इस्तेमाल के अलावा विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी इस सेवा का फायदा उठा सकेंगे।
देहरादून के अलावा ऋषिकेश, विकासनगर,डोईवाला, चकराता, कालसी, त्यूणी में भी पीएनजी का फियदा मिल सकेगा।
इस परियोजना के जरिए वाहन चलाने वालों को भी फायदा मिलेगा। पीएनजी के अलावा सीएनजी यानी कंप्रेस्ड नेचुरल गैस के इस्तेमाल के लिए देहरादून में 50 स्टेशनों की स्थापना की जाएगी। सीएनजी का इस्तेमाल पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतरीन माना जाता है।
बताया जा रहा है कि इस परियोजना की लागत 2274 करोड़ रुपये के करीब है। इसके तहत 900 इंच किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई जानी है।

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इस परियोजना के निर्माण के बाद से देहरादून शहर समेत आस पास की 17 लाख की आबादी को सीधा फायदा मिलेगा। इस परियोजना के निर्माण की जिम्मेदारी गेल गैस लिमिटेड कंपनी को दी गई है। पीएम मोदी ने बताया कि प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल होने से प्रदूषण कम होगा। इस तरह से देश उस लक्ष्य को भी हासिल कर सकेगा, जिसके तहत 2030 तक देश में 2.5 से 03 बिलियन टन तक कार्बन डाई ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन कम किया जाना है। आपको बता दें कि साल 2014 तक देशभर के 66 जिले ही इस योजना से जुड़े थे, लेकिन अब ये संख्या 174 के पार पहुंच गई है। इसके अलावा खास बात ये भी है कि उत्तराखंड में वाहनों की संख्या 32 लाख के पार चली गई है। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से ये भी जरूरी है कि सीएनजी वाले वाहनों को बढ़ावा मिले।