उत्तराखंड marteyer rajendra sing bungla of uttarakhand

पहाड़ का सपूत शहीद हुआ...3 बहनों का इकलौता भाई चला गया, उसे भी मनानी थी दिवाली

राजेन्द्र सिंह बुंगला पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट के बनेड़ाकुंड गांव के रहने वाले थे। दिवाली से ठीक पहले 24 साल का ये लाल हमें छोड़कर चला गया।

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Image: marteyer rajendra sing bungla of uttarakhand (Source: Social Media)

: उस वीर सपूत को भी दिवाली का त्योहार मनाना था। उसे भी अपने गांव आना था और अपने परिवार के साथ दिवाली का त्योहार मनाना था। क्रूर काल का चक्र ऐसा घूमा कि 24 साल का ये बच्चा देश के लिए कुर्बान हो गया। पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट के रहने वाले राजन्द्र सिंह बुंगला तीन साल पहले ही भारतीय सेना में शामिल हुए थे। जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लड़ते लड़ते इस वीर सपूत ने अपनी जान गंवा दी। आर्मी मुख्यालय से जब राजेन्द्र सिंह के परिवार को ये खबर मिली, तो पूरे गांव में मातम पसर गया है। दिवाली से ठीक पहले घर में उत्सव का माहौल था लेकिन इस बार की दिवाली इस परिवार के लिए काली हो गई। जाट रेजीमेंट में तीन साल पहले ही राजेन्द्र सिंह बुंगला भर्ती हुए थे। दो महीने पहले ही उनकी पोस्टिंग राष्ट्रीय राइफल्स में हुई थी।

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सीमा पर इससे पहले भारतीय सेना के जवानों ने 6 आतंकियों को मार गिराया था। इसके बाद से आतंकी बौखलाए हुए थे। इसके बाद गुरुवार को आतंकियों ने एक बार फिर से भारतीय सेना के कैंप पर धावा बोल दिया। इस मुठभेड़ में राजेन्द्र सिंह बुंगला वीरता से लड़े। अचानक एक स्नाइपर शॉट उन पर लगा। इसके बाद भी वो अपनी अपनी बंदूक से गोलियां दागते रहे। जब होश गंवाने लगे तो ज़मीन पर गिर पड़े। इसके बाद उन्हें घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया लेकिन मौत से जंग लड़ते लड़ते ये वीर जवान शहीद हो गया। गांव में मातम पसरा हुआ है और पिता को समझ में नहीं आ रहा कि आखिर करें तो करें क्या करें। जवान बेटा इस बुढ़ापे में परिवार को छोड़कर चला गया। बुढ़ापे का सहारा भरी जवानी में ही देश के लिए कुर्बान हो गया।

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संभालें तो किसे संभाले और आंसू पोंछें तो आखिर किसके ? गाव वाले परिवार को लगातार ढाढ़स बंधाने पर जुटे हैं। बताया जा रहा है कि राजेन्द्र सिंह बुंगला अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। राजेन्द्र की बड़ी बहन की शादी हो गई है और छोटी बहन ने इंटर पास किया था। इसके अलावा सबसे छोटी बहन 10वीं में पढ़ती है। जाने उस परिवार पर क्या बीत रही होगी, जिसके घर का इकलौता चिराग चला गया। शहीद के पिता चन्द्र सिंह बुंगला और मां मोहनी देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। शहीद के पार्थिव शरीर को शनिवार को बरेली से सेना गाड़ी द्वारा पिथौरागढ़ लाया जाएगा। पिथौरागढ़ में उनके पैतृक गांव में पूरे सैन्य सम्मान के साथ उन्हें आखिरी विदाई दी जाएगी। हमें गर्व है उन सपूतों पर जो अपने प्राणों की परवाह किए बिना देश के लिए कुर्बान हो जाते हैं। जय हिंद।