उत्तराखंड रुद्रप्रयागHeli companies creating disturbance for wild animals

रुद्रप्रयाग जिले में दुर्लभ वन्य जीवों पर जानलेवा खतरा, मार डालेगा हेलीकॉप्टरों का शोर!

रुद्रप्रयाग जिला यूं तो बेशकीमती वन संपदा और अनमोल वन्य जीवों के लिए जाना जाता है, लेकिन ये शान अब खतरे में दिखाई पड़ रही है।

rudraprayag: Heli companies creating disturbance for wild animals
Image: Heli companies creating disturbance for wild animals (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: कभी रुद्रप्रयाग जिले गए हैं आप ? 10 साल पहले के रुद्रप्रयाग और अब के रुद्रप्रयाग में यूं तो काफी फर्क आ गया है। लेकिन ये फर्क अब उन बेजपबान जानवरों के लिए खतरा बन रहा है, जो कभी इस जिले की शान बढ़ाते थे। समुद्रतल से दस हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर घने जंगलों में रहने वाले दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव रुद्रप्रयाग जिले की खासियत रहे हैं। लेकिन अब इन दुर्लभ प्रजाति के जीवों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रहे हैं आसमान में बेतहाशा उड़ते हेलीकॉप्टर। वन विभाग ने भले ही हेली कंपनियों के लिए मानक निर्धारित किए लेकिन फर्क किसे पड़ता है? दुर्लभ वन्य जीवों की जान पर खेलते इन हेलीकॉप्टर्स का शोर थम नहीं रहा। मज़े की बात तो ये है कि अब तक सरकार ने भी इस पर कोई एक्शन नहीं लिया।

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हेलीकॉप्टरों की निगरानी के लिए वन विभाग की तरफ से मॉनीटरिंग सेंटर बनाया गया था। इसकी रिपोर्ट बताती है कि हेली कंपनियां उन मानकों पर खरी नहीं उतर रही। हर दिन मानकों से कहीं ज्यादा उड़ान भरी जा रही है। तय ऊंचाई 600 मीटर है और इसके बाद भी काफी नीचे तक हेलीकॉप्टर्स उड़ान भर रहे हैं। इसका सीधा असर दुर्लभ वन्य जीवों पर पड़ रहा है। NGT ने इस बारे में प्रदेश सरकार से रिपोर्ट तलब की है। एक आंकड़ा कहता है कि हेली कंपनियां इस यात्रा सीजन में 30 हजार उड़ानें केदारनाथ वन्य जीव विहार के ऊपर से भर चुकी हैं। यानी एक दिन में औसत 400 उड़ानें। मानक कहते हैं कि हर दिन 300 उड़ान से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे कस्तूरा मृग, भरल, लाल भालू, हिम तेंदुआ,सफेद भालू, राज्य पक्षी मोनाल , टाइगर और काला भालू की जिंदगी पर खतरा मंडरा रहा है।

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उधर केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण का वन्य जीवों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसी वजह से हेली कंपनियों के लिए उड़ान के मानक तय किए गए थे। उड़ानों की जांच के लिए विभाग द्वारा केंद्र भी बनाया गया था। इसके बाद भी हेली कंपनियां मानकों को ताक पर रख रही हैं और मनमाफिक उड़ान भर रही हैं। उनका कहना है कि इसकी रिपोर्ट वन निदेशालय और मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को भेजी गई है। अब सवाल ये है कि क्या रुद्रप्रयाग जिले में बेपरवाह होकर उड़ रहे इन हेलीकॉप्टर्स पर कोई लगाम लगेगी ? क्या इसका खामियाज़ा रुद्रप्रयाग को बेजुबान वन्य जीवों की लाश से चुकाना पडेगा? सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वास्तव में पहाड़ की शान का सवाल है।