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उत्तराखंड में तैनात IFS ऑफिसर ने उड़ाई PMO की नींद, 5 साल में 12 बार झेला ट्रांसफर

उत्तराखंड में तैनात एक तेज-तर्रार IFS ऑफिसर...जिसकी एक याचिका केंद्र सरकार के लिए गले की फांस बन गई है।

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Image: ifs sanjeev chaturvedi posted in haldwani (Source: Social Media)

: भारतीय वन सेवा यानी इंडियन फॉरेस्ट सर्विसेज का एक तेज़ तर्रार अधिकारी। नाम है संजीव चतुर्वेदी। उत्तराखंड के हल्द्वानी में तैनात इस तेज तर्रार और ईमानदार ऑफिसर ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अलग ही जंग छेड़ दी है। ये ही वजह रही है कि बार बार इस ईमानदार अफसर को 5 साल में 12 बार ट्रांसफर की मार झेलनी पड़ी है। संजीव चतुर्वेदी ने हाल ही में एक RTI की। केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को 15 दिन के भीतर इसका जवाब देने के निर्देश दिए हैं। इसमें विदेशों से वापस लाए गए काले धन की जानकारी देने को कहा गया है। केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को ये भी निर्देश दिए हैं कि केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों का ब्योरा भी संजीव चतुर्वेदी को उपलब्ध कराएं। आइए आपको संजीव चतुर्वेदी के वो किस्से भी बताते हैं, जिनकी वजह से वो चर्चाओं में रहे और उन्हें बार बार ट्रांसफर की मार भी झेलनी पड़ी।

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इससे पहले संजीव एम्स सीवीओ पद पर में तैनात थे। जून 2012 से जून 2016 तक के लिए उनकी तैनाती की गई थी लेकिन दो साल पहले ही उन्हें यहां ट्रांसफर की मार झेलनी पड़ी। इसकी वजह ये थी कि उन्होंने एम्स में 200 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा किया था। इनमें से करीब 80 मामलों में आरोपियों को सजा हुई थी। कई लोगों के खिलाफ तो CBI जांच भी बिठाई गई थी।
संजीव वो अधिकारी हैं, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्‍य सचिव विनीत चौधरी पर भी भ्रष्‍टाचार के आरोप लगाए थे।
संजीव चतुर्वेदी को 2015 में रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। वो दूसरे सर्विंग ब्यूरोक्रेट हैं, जिन्हें इस बड़े पुरस्कार से नवाजा गया। सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए उन्हें ये अवॉर्ड दिया गया था।

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1995 में मोतीलाल नेहरू इंस्‍टीट्यूट ऑफ़ टेक्‍नोलॉजी, इलाहाबाद से संजीव चतुर्वेदी ने बीटेक की डिग्री ली।
2002 के हरियाणा कैडर के अफ़सर संजीव की पहली पोस्टिंग कुरुक्षेत्र में थी। वहां उन्होंने हांसी बुटाना नहर बनाने वाले ठेकेदारों के खिलाफ करप्‍शन का केस दर्ज कराया था।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार जंग लड़ने की वजह से संजीव को 5 साल में 12 बार ट्रांसफर किया गया है।
2009 में संजीव चतुर्वेदी ने हरियाणा के झज्जर और हिसार में वन घोटालों का खुलासा किया था।
साल 2007-2008 में उन्होंने झज्जर में एक हर्बल पार्क के निर्माण में हुए घोटाले का खुलासा किया था।