उत्तराखंड meet first women team of dehradun running cab

श्रुति..उत्तराखंड को टैक्सी सर्विस देने वाली पहली लड़की, कई बेटियों को बनाया सशक्त

क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड के टैक्सी यानी कैब सर्विस देने वाली पहली महिला कौन हैं? आइए इस महिला से मिलिए।

uttarakhand cab service: meet first women team of dehradun running cab
Image: meet first women team of dehradun running cab (Source: Social Media)

: इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता है, वो चाहे तो अपनी तकदीर बदल सकता है, वो चाहे तो समाज की तस्वीर बदल सकता है। वही बदलते दौर के साथ बेटियां भी इस बदलाव में अहम भूमिका निभा रही हैं। भले ही आज बेटियों का सफर चुनौतियों से भरा जरुर हुआ है, लेकिन वो हार नहीं मान रही और पूरी निष्ठा से इस बदलाव की डगर पर चल रही है। कुछ इसी तरह की एक कोशिश कर रही है उत्तराखंड की बेटी श्रुति कौशिक। देहरादून की चंद्रबनी सेवलाकलां निवासी श्रुति खुद तो सशक्त हैं। अब उन्होंने दूसरी महिलाओं को भी सशक्त बनाने का बीड़ा उठाया है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद श्रुति ने पुणे की एक कंपनी में नौकरी कर अपने करियर की शुरुआत की लेकिन कुछ करने की चाह ने उन्हें ज्यादा वक्त तक नौकरी नहीं करने दी।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढें - उत्तराखंड की ‘बुलेट रानी’..जिसका सभी ने मज़ाक उड़ाया, फिर भी सपना पूरा कर दिखाया
कुछ वक्त तक नौकरी करने के बाद श्रुति ने नौकरी को अलविदा कह दिया औऱ वापस उत्तराखंड चली आई। साल 2013 में उन्होंने सहेली फाउंडेशन की नींव रखी। सहेली फाउंडेशन के जरिए वो जरूरतमंद महिलाओं को प्राथमिक शिक्षा के साथ सिलाई, कढ़ाई और दूसरे प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। जरुरतमंद महिलाओं की मदद के साथ अब सहेली फाउंडेशन ने एक और नई शुरुआत की है। फाउंडेशन ने अब पिंक शी कैब सर्विस शुरू की है। महिलाओं के सुरक्षित सफर के लिए फिलहाल 5 महिला ड्राइवरों को ट्रेनिंग दी गई है। पिंक शी कैब सर्विस देहरादून, हरिद्वार, मसूरी, ऋषिकेश और जौलीग्रांट में संचालित होगी। इन महिला ड्राइवरों का कहना है कि आत्मनिर्भर बनना उनके लिए गौरव की बात है।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढें - देवभूमि का गौरव है ये देवी..जिसने पहाड़ की बेशकीमती धरोहर को अब तक बचाए रखा!
पिंक शी कैब सर्विस एक ऐसी सर्विस है, जो महिलाओं के लिए है। पांचो महिला कैब ड्राइवर का कहना है कि खुद के साथ सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा उनके लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है। श्रुति की एक कोशिश और समाज में बदलाव लाने की उनकी लगन ने आज ना जाने कितनी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। श्रुति बताती हैं कि समाज के लिए उनका ये नजरिया उन्हें परिवार से ही मिला है। उनकी मां मंजू कौशिक को उन्होंने हमेशा जरूरतमंदों की मदद करते हुए देखा है। यहीं से उनके अंदर समाज सेवा के लिए कुछ करने की इच्छा जागी और इस काम में उन्हें अपने परिवार का भरपूर साथ भी मिला। वास्तव में समाज में श्रुति जैसी बेटियां उत्तराखंड समेत पूरे देश के लिए एक बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही हैं।