देहरादून: अगर आप देहरादून से दिल्ली जा रहे हैं तो सबसे ज्यादा जाम की परेशानी डाट काली टनल में देखने को मिलती है। बेहद संकरी ये टनल बहुत पुरानी है और इसकी हालत खराब हो चुकी है। ऐसे में यात्रियों को बड़ी दुश्वारियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब लोगों को ऐसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। दरअसल उत्तराखंड को पहली डबल लेन टनल का तोहफा मिल गया है। डाट काली मंदिर से पहले ही एक और टनल तैयार की जा रही थी। इस टनल का काम वक्त से पहले ही पूरा कर दिया गया है। बहुत ही तेजी से इस टनल का काम पूरा किया गया है। तमाम सुविधाओं और हाईटेक टेक्नोलॉजी के बूते ये डबल लेन टनल एक मिसाल बनकर तैयार हो गई है। खबर है कि 7 अक्टूबर से इस टनल पर आवाजाही शुरू हो जाएगी। आइए इस टनल की कुछ खास बातें आपको बता देते हैं।
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31 अक्टूबर 2017 को इस सुरंग का काम शुरू किया गया था। इस टनल के काम को पूरा करने का लक्ष्य 30 मई 2019 रखा गया था। लेकिन ये टनल अपने तय वक्त से बहुत पहले ही आम लोगों के लिए तैयार है। बताया जा रहा है कि इस सुरंग का उद्घाटन उत्तराखंड इन्वेस्टर समिट के दौरान होगा। यानी 7 या फिर 8 अक्टूबर को उत्तराखंड को ये बड़ा तोहफा मिल सकता है। इस सुरंग की लंबाई 340 मीटर है। इसके निर्माण में कुल मिलाकर 57 करोड़ रुपये की लागत आयी है। इस सुरंग के बनने से देहरादून से दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और दिल्ली जाने वाले लोगों को राहत मिलेगी। ये टनल उत्तराखंड का पहला ऐसा प्रोजक्ट है, जिसे ईपीसी यानी इकनॉमिक प्रिक्योरमेंट सिस्टम के तहत तैयार किया गया।
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अगर आप इस सुरंग का दीदार करना चाहते हैं तो इसकी सुविधा भी है। दरअसल इस सुरंग के दोनों तरफ पैदल चलने के लिए फुटपाथ भी बनाया गया है। टनल के अंदर ग्राउटिंग का काम पूरा हो चुका है। बताया जा रहा है कि फुटपाथ और फिनिशिंग का काम भी पूरा हो चुका है। यूं तो पहले बताया जा रहा था कि ये टनल जुलाई से आम जनता के लिए जनता के नाम कर दी जाएगी लेकिन अब बताया जा रहा है कि 7 अक्टूबर को ही इस टनल का उद्घाटन होगा। मई 2019 में जिस परियोजना को पूरा होना था, वो एक साल पहले ही पूरी हो रही है। इस टनल के बनने के बाद भी पुरानी टनल का अपना अस्तित्व और महत्व बना रहेगा। देहरादून की तरफ से डाट काली मंदिर जाने के लिए भी वह मार्ग के तौर पर उपयोग में लाई जाती रहेगी। डाट काली मंदिर के पास बनी पहली टनल 1821 - 23 के बीच दून के तत्कालीन असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट एफजे शोर ने कराया था। अब करीब दो सौ साल बाद एक नई सुरंग बनकर तैयार है।