उत्तराखंड govt gave notice to veerchandra singh garhwali family

योगी सरकार में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली अतिक्रमणकारी घोषित, अपमान की भी हद हो गई!

उन्हें पेशावर विद्रोह का नायक कहा जाता है। उस वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को ही योगी सरकार में अतिक्रमणकारी घोषित कर दिया गया है। पढ़िए ये रिपोर्ट

veer chandra singh garhwali: govt gave notice to veerchandra singh garhwali family
Image: govt gave notice to veerchandra singh garhwali family (Source: Social Media)

: जब तक वो ज़िंदा थे, तो उनका नाम बड़े सम्मान के साथ लिया गया। जब वो हमारे बीच नहीं तो उन्हें अतिक्रमणकारी घोषित कर दिया गया। इससे बड़े अपमान की बात क्या होगी ? हम बात कर रहे हैं पेशावर विद्रोह के नायक रहे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की। उत्तराखंड में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के नाम की कई योजनाएं चल रही हैं। लेकिन वो ही वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कुछ अफसरों की लिस्ट में अतिक्रमणकारी घोषित किए गए हैं। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की दो विधवा बहुएं और बच्चे बेघर होने के कगार पर पहुंच गए हैं। कभी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के लिए आजाद हिंद फौज के जनरल मोहन सिंह ने कहा था कि ‘वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के पेशावर विद्रोह ने हमें आजाद हिंद फौज को संगठित करने की प्रेरणा दी’। आज उस वीर का ऐसा अपमान हो रहा है। आइए आपको ये पूरा मामला समझा देते हैं। दैनिक जागरण ने इस बारे में एक हैरान कर देने वाली रिपोर्ट दी है।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढें - वीर चंद्र सिंह गढ़वाली: अंग्रेजों का काल...लेकिन देश ने क्यों नहीं दिया सम्मान ? पढ़िए ...
दरअसल, आज़ादी के आंदोलन में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की अहम भूमिका को देखते हुए 21 जनवरी 1975 को उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने एक बड़ा ऐलान किया था। गढ़वाली को कोटद्वार-भाबर के ग्राम हल्दूखाता से लगे वन क्षेत्र में करीब 10 एकड़ भूमि 90 साल के लिए लीज़ पर दी गई थी। हालांकि इसमें शर्त रखी गई थी कि हर 30 साल में इस ज़मीन की लीज का रिन्यूवल कराना होगा। इसके ठीक चार साल बाद यानी 1979 को वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का निधन हो गया। उनके पुत्र आनंद सिंह और खुशाल सिंह इसके बाद उस ज़मीन की लीज का ट्रांसफर अपने नाम कराने के लिए उत्तरप्रदेश वन विभाग के चक्कर काटते रहे। फायदा कुछ भी नहीं मिला। इसी उधेड़बुन में आनंद सिंह और खुशाल सिंह भी दुनिया से रुखसत हो गए। इसके बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया, तो ये जमीन उत्तरप्रदेश के कब्जे में चली गई।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढें - उत्तराखंड के किसानों को सीएम त्रिवेंद्र का तोहफा, ‘गढ़वाली’ की जन्मभूमि से बड़े ऐलान!
फिलहाल आनंद सिंह की पत्नी कपोत्री देवी और खुशाल सिंह की पत्नी विमला देवी अपने परिवार के साथ इस जमीन पर रह रहे हैं। सरकारी कागजातों में ये ज़मीन आज भी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम दर्ज है। लेकिन इस वीर सपूत को बिजनौर वन प्रभाग ने अतिक्रमणकारी घोषित कर दिया है। 30 अगस्त को ही वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की दोनों बहुओं को इस बारे में नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में ये बात भी बताई गई है कि साल 1989 से 2004 तक लीज रेट का भुगतान सुनिश्चित करें। इसके साथ ही लिखा गया है कि 2005 के बाद पहले 30 सालों के लिए लीज़ में 50 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। कपोत्री देवी का कहना है कि उनकी परिवार की स्थिति ऐसी नहीं है कि इतनी भारी-भरकम राशि चुका पाएं। वो बीते कई वर्षों से लीज ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। उधर मीडिया से बात करते हुए बिजनौर वन प्रभाग के अधिकारी का कहना है कि ऐसा न करने की स्थिति में कार्यवाही की जाएगी। सवाल ये है कि क्या योगी सरकार इस बारे में कोई संज्ञान लेगी ?