उत्तराखंड big research about uttarakhand

उत्तराखंड समेत 9 राज्यों को वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी, सूखने की कगार पर पहाड़!

उत्तराखंड समेत 9 राज्यों में भयंतक सूखे की चेतावनी दी गई है। वैज्ञानिकों ने इस बारे में कुछ खास बातें बताई हैं। आप भी जानिए..

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Image: big research about uttarakhand (Source: Social Media)

: खतरे में है हिमालय...और खतरे में नौ राज्य जिनका सीधा जुडाव है हिमालय से। ये हम नहीं बल्कि वैज्ञानिक बोल रहे है। अगर वैज्ञानिकों की ये भविष्यवाणी सच साबित होती है तो आने वालों वर्षों में ये देश के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा। दरअसल हाल ही में हुए शोध में खुलासा हुआ है कि हिमालयी क्षेत्रों में स्थित 50 लाख से ज्यादा जलस्त्रोतों पर संकट के बादल मंडरा रहे है। हिमालय रीजन के कई जलस्त्रोत सूख चुके है और कई सूखने की कगार में है। ये चौकाने वाला खुालासा नीति आयोग के निर्देश पर हिमालय को लेकर हुए शोध में हुआ है। देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि उत्तराखंड समेत देश के सभी नौ पर्वतीय राज्यों में 30 फीसदी जलस्रोत सूख गए हैं जबकि 45 फीसदी जलस्रोत सूखने के कगार पर हैं। इस शोध की हैरान कर देने वाली बातें जानिए।

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संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक उत्तराखंड के 16000 गांवों में से 600 गांव ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जहां झरनों से जलापूर्ति होती है लेकिन इन जलस्रोतों के सूखने के चलते इन गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को पलायन करना पड़ेगा। संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक नीति आयोग की ओर से टास्क फोर्स का गठन कर सभी पर्वतीय राज्यों में गंभीरता से अध्ययन कराया जाना चाहिए। ताकि झरनों के ‘कैचमेंट एरिया’ की स्टडी हो सके इसके साथ ही इन जलस्रोतों के रिचार्ज करने के तरीकों पर काम किया जाना जरुरी है। अगर ये जलस्त्रोत इसी तरह से गायब होते रहे तो भविष्य में इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर इसका बड़े पैमाने पर असर दिखाने को मिलेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक दुनिया के तमाम हिमालयी क्षेत्रों में 50 लाख से ज्यादा जलस्रोत हैं। इसमें से 30 लाख जलस्रोत इंडियन हिमालयन रीजन में हैं।

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जो हिमालयी राज्य उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड के अलावा असम,पश्चिम बंगाल के पर्वतीय इलाकों में रहने वाली 60 फीसदी आबादी इन्हीं जलस्रोतों पर निर्भर रहती है। वैज्ञानिकों के शोध के बाद सामने आए इस खतरे से निपटने के लिए अगर आने वाले वक्त में कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया तो भविष्य में स्थिति भयावह हो सकती है। वही इससे निपटना केंद्र और राज्य सरकारों के लिए आसान नहीं होगा। इसके अलावा सभी पर्वतीय राज्यों में बारिश का पानी पहाड़ों में ही रोकने के लिए नीतियां बनायी जाने की जरुरत है। ताकि वक्त रहते इस खतरे से निपटा जा सके। इस शोध के बाद चकराता क्षेत्र में कई जगहों पर नए सिरे से अध्ययन किया जा रहा है। हिमालयी क्षेत्र में स्थित जलस्रोतों को सूखने से रोकने को लेकर यदि कारगर नीतियां नहीं बनाई गई तो भविष्य में समस्या विकट हो सकती है जिससे पार पाना आसान नहीं होगा।