उत्तराखंड martyr deepak nainwal

उत्तराखंड का जांबाज ..उसे भी मनानी थी दिवाली, वो कई आतंकियों को मारकर शहीद हो गया

दिवाली के मौके पर एक दीया उन वीर शहीदों के नाम...जिन्होंने देश की रक्षा के लिए पर्व-त्योहार त्याग दिए। पढ़िए उत्तराखंड के सपूत की ये शौर्यगाथा

deepak nainwal: martyr deepak nainwal
Image: martyr deepak nainwal (Source: Social Media)

: दीपावली का पावन पर्व..हर्ष, उल्लास और पवित्र रिश्ते का त्योहार। हर कोई इस दिन अंधेरे पर उजावे की विजय का प्रण लेता है। लेकिन कुछ वीर ऐसे भी हैं, जिन्होंने देश की रक्षा की सौगंध खाई और देश के लिए ही कुर्बान हो गए। परिवार से पहले देश को रखकर उन वीरों ने सीमा पर सर्वोच्च बलिदान दिया। हमारी कोशिश है कि ऐसे वीरों की कहानी आप तक पहुंचाते रहें, ताकि आप उन्हें भी याद करें। उत्तराखंड शहीद दीपक नैनवाल..जिनके परिवार में भी हर साल दिवाली की खुशियां धूमधाम से मनाई जाती थीं। दीपक नैनवाल आज हमारे बीच नहीं हैं। ना जाने कितने आर्मी ऑपरेशन ऐसे हैं, जिनमें दीपक नैनवाल ने हिस्सा लिया। ना जाने कितने आतंकी ऐसे हैं, जिनका अब तक दीपक नैनवाल खात्मा कर चुके हैं।

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कश्मीर के कुलगाम में जिस दिन दीपक नैनवाल के सीने पर दो गोलियां लगी थी, उसी मुठभेड़ में उन्होंने दो आतंकियों का खात्मा भी कर दिया था। 10 अप्रैल 2018 की देर रात सेना को जानकारी मिली कि कुलगाम के वनपोह इलाके में आतंकवादी छिपे हैं। इसके बाद भारतीय सेना की टुकड़ी आतंकियों का खात्मा करने के लिए निकल पड़ी। जूनून की हद तक जाना और दुश्मन की नापाक निगाहों को देश पर ना पड़ने देना ही दीपक के लिए जिंदगी का असली फलसफा था। इसी साल 12 अप्रैल को उन्हें घर आना था। लेकिन 10 अप्रैल को ही कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों ने घुसपैठ करने की कोशिश की। इस मुठभेड़ में दीपक नैनवाल ने दो आतंकियों का खात्मा किया लेकिन दो गोलियां उनके सीने में लग गई। इसके बाद 40 दिनों तक उनका इलाज चला।

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गजब की जीवटता थी दीपक नैनवाल में। मौत से 40 दिन तक लड़े और शायद उस वक्त आंखों में एक ही ख्वाब रहा होगा कि ठीक होकर आतंकियों पर एक बार फिर से टूटना है। राष्ट्रीय राइफल में तैनात ये जवान अपने परिवार, अपनी बहनों और देश की सेना के लिए हिम्मत का दूसरा नाम था। हर मुश्किल को पार करना, गोली का जवाब गोली से देना, आंतकियों को देखकर खून खौल जाना..ये दीपक नैनवाल खूबियां थी। दरअसल दीपक के पिता श्री चक्रधर नैनवाल आर्मी में थे , तो दीपक का लालन-पालन भी उसी अनुशासन के साथ हुआ था। पूत के पांव पालने में ही नज़र आ जाते हैं। दिल में देश के लिए बेशुमार प्यार और आतंकियों पर कहर बनकर टूटने वाले जुनूनी सिपाही थे दीपक नैनवाल। धन्य हैं उत्तराखंड के ऐसे सपूत और धन्य हैं ऐसे मिता-पिता, धन्य है वो वीर पत्नी और नमन इस पुण्यआत्मा को।