उत्तराखंड Martyr mandeep rawat story

उत्तराखंड का लाल...आखिरी बार मां से कहा ‘अपना ध्यान रखना’..और शहीद हो गया

15 अगस्त का मौका है और ये ही वो वक्त है, जब हम अपने वीर सपूतों को याद करते हैं। इस वीर की कहानी भी जानिए

Mandeep rawat: Martyr mandeep rawat story
Image: Martyr mandeep rawat story (Source: Social Media)

: दिल में सरहद की सुरक्षा का हौसला और मन में अपने परिवार का ख्याल। एक बूढ़ी मां है, जो घर में बैठी है। एक उस मां का बेटा है, जो सरहद पर भारत मां की सुरक्षा में तैनात है। बेटा मां को फोन करता है कि और कहता है कि ‘मां अपना ख्याल रखना’। बस इसके बाद खबर आती है कि वो शहीद हो गया। उत्तराखंड ने 7 अगस्त 2018 को अपने लाल मनदीप सिंह रावत को खो दिया। शहादत का एक महीना गुज़र गया है, इसलिए हम वो वीरता से भरी कहानी आपके बीच लेकर आए हैं। राइफलमैन मनदीप सिंह रावत उत्तराखंड के कोटद्वार के शिवपुर गांव के रहने वाले थे। सरहद पर इन्होंने जो वीरता दिखाई, वो गाथा अमर हो गई। दरअसल 36 राष्ट्रीय राइफल को खबर मिली थी कि सीमा पार से कुछ आतंकी घुसपैठ की कोशिश में जुटे हैं। बस फिर क्या था एक मेजर के साथ कुछ जवान आतंकियों का खात्मा करने के लिए निकल पड़े। जब मौके पर पहुंचे तो मालूम हुआ कि उन आतंकियों की संख्या 8 से 10 के करीब है।

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मनदीप रावत ने सोमवार रात साढे 10 बजे मां- पिता से फोन पर बात की थी। आखिरी बार उन्होंने कहा था कि ‘मां मैं ठीक हूं और आप अपना ध्यान रखना’। मंगलवार सुबह सूचना मिली की वीर सैनिक मनदीप रावत आंतकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया। कोटद्वार के शिवपुर के रहने वाले मनदीप सिंह अभी 6साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे। 28 साल का ये वीर योद्धा गढ़वाल राइफल्स की 15 वीं बटालियन में तैनात था जो इन दिनों 36 आरआर का हिस्सा थे। 28 साल के इस सैनिक का परिवार भी सेना से ही ताल्लुक रखता है। अपने पिता से ही मनदीप ने देशभक्ति सीखी थी। उनके पिता का नाम बूथी सिंह है। मनदीप बड़े थे और उनका छोटा भाई संदीप रावत है। दूसरा भाई संदीप भी सेना में ही इन दिनो श्रीनगर में तैनात है।

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जम्मू-कश्मीर के बांदीपुर के गुरेज सेक्टर में हुई घटना के बाद जैसे ही परिजनों की इस बात की जानकारी मिली तो पिता बूथी सिंह और मां सुमा देवी के आंसू थम नहीं पाए। अपने जवान बेटे को देश की रक्षा के खातिर शहीद होने का भले ही माता पिता को गर्व है लेकिन कम उम्र में बच्चे का वीर गति को प्राप्त होने पर दुःख होना स्वाभाविक है। जब मनदीप रावत के शहीद होने के जानकारी कोटद्वार पहुंची तो क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी। अपने बेटे को खोने का दर्द क्या होता है, वो उस मां से पूछिए जो दिन रात आंसू बहा रही है। ये सवाल उस पिता से पूछिए जिनके दिल और दिमाग सन्न हो गया है। उस भाई से पूछिए जो देश की रक्षा में तैनात है और अपने भाई के निधन से परेशान है। क्यों हर बार ऐसा होता है ? क्यों सरहद पर गोलियां चलती हैं और क्यों हमारे जवान मारे जाते हैं ?